नयी दिल्ली। नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरूवार को कहा कि सरकार ने सरकारी एयरलाइंस कंपनी एयर इंडिया के प्रस्तावित विनिवेश की प्रक्रिया के तहत उसमें अपनी शत प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। एयर इंडिया पर 50,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। वह लंबे समय से नुकसान में चल रही है और इसके पुनरुद्धार के प्रयासों के तहत सरकार ने विनिवेश का निर्णय लिया है।
नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, 'नयी सरकार के गठन के बाद एयर इंडिया विशिष्ट वैकल्पिक प्रणाली (एआईएसएएम) का पुनर्गठन किया गया और एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश को फिर से शुरू करने की मंजूरी दी गयी।' उन्होंने कहा कि एआईएसएएम ने एयर इंडिया के फिर से शुरू किए गएये रणनीतिक विनिवेश के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी में भारत सरकार की शत प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दे दी है। वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8556.35 करोड़ रुपए का कुल नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। मंत्री ने कहा कि विमानन क्षेत्र में सुधार के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं, जिसमें जेट एयरवेज के एयरक्राफ्ट का दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर भी शामिल है।
गौरतलब है कि एयर इंडिया कंपनी पर कुल 58,000 करोड़ रुपए के कर्ज का बोझ है। एयर इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 4600 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग नुकसान दर्ज किया। पिछले साल भी सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती थी, लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण सरकार ने इसे रोक दिया था। अब सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है। कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया था। जेट एयरवेज ने अप्रैल में नकदी संकट की वजह से ऑपरेशन पूरी तरह बंद कर दिया था।
कर्मचारियों के हितों का रखा जाएगा ध्यान
बीते 27 नवंबर को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में कहा था कि हजारों करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ तले दबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया का निजीकरण नहीं हो पाता है तो सरकार इसे पूरी तरह से बंद कर देगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखेगी। उन्होंने कहा था कि एयर इंडिया के निजीकरण या फिर बंद होने से किसी भी कर्मचारी का अहित नहीं होने दिया जाएगा।
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