नई दिल्ली। सरकार कर्ज में डूबी एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को इस साल आगे बढा़ना जारी रखेगी और संशोधित बोली नियमों को जल्दी ही अंतिम रूप दिया जा सकता है। एयर इंडिया और उसकी अनुषंगी इकाइयों के लिए रणनीतिक विनिवेश के लिए किसी भी बोलीदाता की तरफ से रुचि पत्र (ईओआई) नहीं आने के बाद नागर विमानन मंत्रालय अब सौदा सलाहकार से जरूरी जानकारी एकत्रित कर रहा है। इससे बोलीदाताओं को आकर्षित करने में विफल रहने के कारणों को समझा जा सकेगा।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार ने ऐसी किसी परिस्थिति की तुलना नहीं की थी कि जब कोई बोली नहीं आएगी तो क्या होगा। एयर इंडिया का विनिवेश पूरी तरह से एजेंडा में है और प्रक्रिया जारी रहेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर गौर कर रही है। अधिकारी ने कहा कि कुछ नियमों को सरल बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन इसके विनिवेश के लिए जो सोच पहले रही है यह उससे बहुत ज्यादा अलग नहीं होगा।
एयर इंडिया के विनिवेश को उस समय झटका लगा जब कोई शुरुआती बोली नहीं आई। रुचि पत्र जमा करने की अंति तिथि 31 मई थी। ईवाई एयर इंडिया विनिवेश के लिए सौदा सलाहकार है।
अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय विनिवेश योजना को लेकर सौदा सलाहकार को बाजार से मिली जानकारी को लेकर विचार-विमर्श कर रहा है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि किन कारणों से निवेशक एयर इंडिया के लिए बोली लगाने को आगे नहीं आए। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय शुरुआती सूचना ज्ञापन (पीआईएम) में किन प्रावधानों पर काम करने की जरूरत है, इस पर ध्यान दे रहा है।
अधिकारियों के अनुसार एयर इंडिया विनिवेश के संदर्भ में विदेशी कोष प्रबंधकों के संदर्भ में और स्पष्टता की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, उन्होंने इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया। सरकार को 76 प्रतिशत शेयर पूंजी बेचनी है। साथ ही प्रबंधन नियंत्रण निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा।
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