नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (CPSE) के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में शामिल उपक्रमों में बदलाव कर सकता है क्योंकि इसमें शामिल ज्यादातर उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी की सीमा घटकर निर्धारित न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है। अब माना जा रहा है कि इस फंड में शामिल किए गए उपक्रमों की सूची में या तो कुछ नये उपक्रमों को शामिल किया जा सकता है अथवा मौजूदा उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी की निर्धारित न्यूनतम सीमा को और घटा कर 52 प्रतिशत करने का विकल्प अपनाया जा सकता है।
सीपीएसई ईटीएफ में वर्तमान में 10 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को शामिल किया गया है। वर्तमान में इन कंपनियों के शेयर तभी तक बेचे जा सकते हैं जब तक कि इनमें सरकार की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती है।
अधिकारी ने बताया कि ईटीएफ में शामिल ज्यादातर सीपीएसई में सरकार की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत की तय सीमा के करीब पहुंच चुकी है अथवा जल्द पहुंचने वाली है। ऐसे में सीपीएसई ईटीएफ में शामिल उपक्रमों में फेरबदल किए जाने की आवश्यकता है।
वित्त मंत्रालय फिलहाल सीपीएसई ईटीएफ की चौथी किस्त लाने की तैयारी में है। इसके लिए वह सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया में है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और एसएमसी कैपिटल ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के लिए बोली लगाई थी।
अधिकारी ने बताया कि सलाहकार अब इस बारे में योजना तैयार करेंगे कि ईटीएफ बास्केट में नये केंद्रीय पीएसयू को शामिल किया जाये या फिर मौजूदा पहले से शामिल सीपीएसई में सरकार की हिस्सेदारी सीमा को और कम कर 52 प्रतिशत पर लाया जाये।
पीएसयू में सरकार की हिस्सेदारी कम करने के विकल्प को यदि अपनाया जाता है तो इससे केंद्रीय उपक्रमों के लिये आगे और हिस्सेदारी बिक्री अथवा वापस खरीदारी की गुंजाइश बहुत कम रह जाएगी। बहरहाल, इस मामले में आखिरी निर्णय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयी समिति की बैठक में लिया जाएगा।
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