नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बावजूद शिक्षा, हेल्थकेयर और तीर्थयात्रा को सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाएगा। GST लाने के बाद सरकार इसके पहले ही वर्ष में कोई झटका आम जनता को नहीं देना चाहती है।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि वर्तमान में जो सेवाएं टैक्स के दायरे से बाहर हैं उन्हें सरकार टैक्स के दायरे में नहीं लाने के संदर्भ में सरकार ने GST काउंसिल में भी अपना पक्ष रखा है। केंद्र सरकार परिवहन जैसी सेवाओं के लिए भी छूट का वर्तमान स्तर बनाए रखने की पक्षधर है।
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वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली GST काउंसिल की बैठक 18-19 मई को श्रीनगर में होगी। यहां विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की दरों पर निर्णय लिया जाएगा जिन्हें 1 जुलाई से लागू करने का लक्ष्य है। GST काउंसिल में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
अधिया ने कहा कि किसी कमोडिटी या सेवा पर नई GST व्यवस्था के तहत भी मौजूदा टैक्स रेट बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। GST लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क, सर्विस टैक्स और राज्यों के वैट समाप्त हो जाएंगे। किसी भी प्रोडक्ट या सेवा के लिए उपभोक्ताओं को सिर्फ एक टैक्स देना होगा।
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अधिया ने कहा कि,
हमारा उद्देश्य यह है कि वर्तमान में जो चीजें हैं उन्हें डिस्टर्ब न किया जाए। हम सुगमता से इसे लागू करना चाहेंगे। इसलिए हम GST काउंसिल को सुझाव देंगे कि वर्तमान में सर्विस टैक्स पर छूट वाली जो सेवाएं हैं उन्हें जस का तस रखा जाए क्योंकि हम एक साथ कई काम नहीं कर सकते।
वर्तमान में 17 सेवाओं पर सर्विस टैक्स नहीं लगता है। इनमें धार्मिक तीर्थयात्रा, हेल्थकेयर, शिक्षा, कौशल विकास, पत्रकारिता से जुड़ी गतिविधियां आदि शामिल हैं।
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