नई दिल्ली: सरकार मौजूदा फार्मा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) मानदंडों में ढील देने के एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है ताकि ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय के एक प्रस्ताव के मुताबिक स्वत: निवेश के जरिए 49 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति होनी चाहिए और इसके अलावा विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (FIPB) से मंजूरी आवश्यक होगी। औद्येागिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (DIPP) और वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं।
फिलहाल फार्मा क्षेत्र की नई परियोजनाओं में 100 फीसदी तक FDI की मंजूरी है लेकिन मौजूदा कंपनियों में विदेशी निवेश की मंजूरी FIPB की अनुमति के जरिए होती है। DIPP ने घरेलू दवा कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण पर चिंता के बीच मौजूदा फार्मा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के असर के आकलन के अध्ययन के लिए एक अध्ययन समिति का गठन किया है। इस क्षेत्र में एफडीआई विवादास्पद मुद्दा रहा है क्योंकि विदेश की विशाल कंपनियों द्वारा कुछ भारतीय फार्मा कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण पर चिंता जाहिर की गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि इससे देश में जेनेरिक उद्योग की वृद्धि और पहुंच प्रभावित हो रही है। दरअसल, संसद की एक स्थायी समिति ने मौजूदा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के असर की जांच के लिए अध्ययन समूह के गठन का सुझाव दिया था।
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