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Hindi News पैसा बिज़नेस सरकार बफर स्टॉक से करेगी 5.5 लाख टन दाल का आबंटन, कल्‍याणकारी योजनाओं में होगा इस्‍तेमाल

सरकार बफर स्टॉक से करेगी 5.5 लाख टन दाल का आबंटन, कल्‍याणकारी योजनाओं में होगा इस्‍तेमाल

केंद्र सरकार पांच राज्यों तथा मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम जैसी केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं के लिए सस्ती दर पर तत्काल करीब 5.5 लाख टन दाल उपलब्ध कराएगी।

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नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार पांच राज्यों तथा मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम जैसी केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं के लिए सस्ती दर पर तत्काल करीब 5.5 लाख टन दाल उपलब्ध कराएगी। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि दलहन के 18 लाख टन के बफर स्टॉक में से यह दाल दी जाएगी।

पिछले वर्ष सरकार ने किसानों को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने तथा मूल्य वृद्धि के समय में आपूर्ति करने के लिए दलहन का बफर स्टॉक निर्मित करने का फैसला किया था। इस प्रकार, स्थानीय खरीद और आयात के जरिये करीब 20 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार किया गया था। पासवान ने संवाददाताओं से कहा, हमारे पास गोदाम में अब भी 18 लाख टन का बफर स्टॉक है। हमने कुछ मात्रा का आवंटन राज्यों को करने और कल्याणकारी योजनाओं में इस्तेमाल करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि करीब 3.5 लाख टन दलहन पांच राज्यों कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को सस्ती दरों पर दी जाएगी।

पासवान ने कहा कि मध्यान्ह भोजन जैसे विभिन्न केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं के तहत खपत के लिए करीब दो लाख टन दलहन दिया जाएगा, जिसके लिए जल्द ही मंत्रिमंडल की मंजूरी ली जाएगी। राम विलास पासवान ने इस बात का भी उल्लेख किया कि नीलामी के मार्ग के जरिये पहले ही दलहन की कुछ मात्रा खुले बाजार में बेची जा रही है। अभी तक करीब दो लाख टन दाल की बिक्री नीलामी के जरिये की जा चुकी है लेकिन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार उसका लक्ष्य चार लाख टन दलहन का निपटान करने का है। पासवान ने कहा कि नीलामी के रास्ते के अलावा दलहन की पर्याप्त मात्रा को तत्काल बेच दिया जाएगा और इसके कारण बफर स्टॉक का बोझा कुछ कम होगा।

उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने अलग से बताया कि अगर कम से कम 10 लाख टन दलहन हमारे स्टॉक से निकल जाता है तो हम बाकी 10 लाख टन का आसानी से प्रबंधन कर सकेंगे। हम पहले के भंडार को पहले निपटाएंगे। उल्लेखानीय है कि पिछले वर्ष सरकार ने स्थानीय आपूर्ति बढ़ाने और फुटकर कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए शुरू में बाजार दर पर दलहनों की खरीद की लेकिन जब भारी मात्रा में फसल हुई और कीमतें टूट गईं तो सरकार ने समर्थन मूल्य पर इसे खरीदना शुरू किया। मौजूदा समय में ज्यादातर दाल की कीमतें खुदरा बाजार में अभी भी कम हैं।

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