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Hindi News पैसा बिज़नेस किसान इस जरूरी चीज़ पर देते हैं 18% GST, सरकार ने इसे 5% किया तो होगा बड़ा फायदा

किसान इस जरूरी चीज़ पर देते हैं 18% GST, सरकार ने इसे 5% किया तो होगा बड़ा फायदा

कृषि से जुड़ी चीजों पर कर (Tax) में समानता लाने के प्रयासों के तहत, रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग ने कीटनाशकों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने के लिए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है।

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नई दिल्ली। कृषि से जुड़ी चीजों पर कर (Tax) में समानता लाने के प्रयासों के तहत, रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग ने कीटनाशकों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने के लिए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है। मांग की गई है कि आगामी बजट में सरकार को खेती के कामकाज में उपयोग किए जाने वाले उर्वरकों की तरह ही कीटनाशकों पर जीएसटी को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करना चाहिए।

तर्क देते हुए कहा गया है कि उर्वरकों के साथ, कीटनाशक भी एक महत्वपूर्ण कृषि इनपुट है, जो पौधों एवं फसल पर कीटों और बीमारियों को रोकने में मदद करता है और कृषि उत्पादन बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। लेकिन उर्वरकों पर लगने वाले 5 प्रतिशत जीएसटी के विपरीत, कीटनाशक पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता है। यह भी कहा गया है कि नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की शुरुआत से पहले भी इन पर 12 प्रतिशत ही वैट लगता था।

संसद में हाल ही में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में रसायनों और उर्वरकों पर स्थायी समिति ने भी इस महत्वपूर्ण कृषि इनपुट के लिए कराधान की उच्च दर पर निराशा व्यक्त की है और विभाग से त्वरित कार्रवाई करने के लिए कहा है, ताकि यह देखा जा सके कि कीटनाशकों पर कर की दर कम कर दी गई है या नहीं।

स्थायी समिति ने सरकार से सिफारिश करते हुए कहा है, "समिति ने नोट किया कि वस्तु एवं सेवा कर के रोलआउट के बाद से कीटनाशकों पर जीएसटी 18 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जबकि अधिकांश महत्वपूर्ण राज्यों में जहां कीटनाशकों की बड़े पैमाने पर खपत होती है, वहां पहले इस पर 12 प्रतिशत वैट लगता था।"

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कीटनाशकों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को लाभ हो सके और देश में कृषि उत्पादन बढ़ सके।

सूत्रों ने कहा कि कीटनाशकों पर शुल्क कम करने के प्रस्ताव की जांच के बाद वित्त मंत्रालय इस मुद्दे को जीएसटी परिषद के समक्ष रख सकता है, जहां अप्रत्यक्ष करों के मामलों में अंतिम फैसला लिया जाएगा।

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