नई दिल्ली। सरकार बेकार बड़े कुछ हवाईअड्डों को सेज (विशेष आर्थिक क्षेत्र) में बदलने पर विचार कर रही है। जहां लीज पर विमान देने वाली कंपनियां अपने विमान खड़े कर सकें और संभावित उपभोक्ताओं को दिखा सकें। नागर विमानन सचिव आर एन चौबे ने कहा कि इसके अलावा सरकार घरेलू विमानन क्षेत्र को और आकर्षक बनाने की कोशिश के तौर पर पट्टे पर विमान देने की लागत घटाने की संभावना भी तलाशेगी। हाल में, 15 जून को पेश नई नागर विमानन नीति में क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने की पहलों की व्यवस्था की गई है और पट्टे की लागत घटाने से इस पहल को मदद मिलेगी।
नागर विमानन मंत्रालय कुछ बेकार पड़े हवाईअड्डों का इस्तेमाल विमान रखने के उद्देश्य से सेज में बदलना चाहती है। इनका उपयोग पुराने विमानों को तोड़ने के लिए भी करने के लिए भी संभावनाओं की तलाश करेगा। देश में करीब 400 बेकार हवाईअड्डे और हवाई पट्टियां हैं। चौबे ने कहा, मैं किसी से मिला जिसने कहा कि हमारे पास देश में बहुत से हवाईअड्डे हैं। क्या हमारे लिए उन्हें सेज घोषित कर दो चीजों के लिए इनका उपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकते। एक यह कि दुनिया भर की कंपनियों के लिए अपने विमान खड़े करने की अनुमति हो।
चौबे ने कहा, उन्होंने कहा कि हम पुराने जहाज तोड़ने का काम अच्छी तरह कर रहे हैं तो क्या हमें पुराने विमान तोड़ने का काम अच्छी नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि ये उत्साहजनक विचार हैं और विमानन क्षेत्र को जोखिम से निकालने के लिए ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए। चौबे ने, हालांकि, सतर्कता से कहा कि भारतीय विमानन क्षेत्र में जोरदार वृद्धि हो रही है लेकिन उसे यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वह वृद्धि चक्र की दिशा में अग्रणी रहे। नई नागर विमानन नीति में प्रस्तावित क्षेत्रीय संपर्क योजना के बारे में चौबे ने कहा कि यदि कच्चे तेल में अगले चार-पांच साल के लिए नरमी रहती है तो तब तक क्षेत्रीय विमानन संपर्क मजूबती से जड़ें जमा चुका होगा।
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