नई दिल्ली। सरकार को सभी कर योग्य सेवाओं पर आधा फीसदी कृषि कल्याण उपकर लगाने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे उत्पादन लागत और बढ़ेगी। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। उद्योग मंडल एसोचैम ने वित्त मंत्रालय को भेजे नोट में कहा है, सेनवैट क्रेडिट नियम 2004 में संशोधन कर विनिर्माण लागत को और प्रतिस्पर्धी बनाया जाना चाहिए। इसके लिए कृषि कल्याण उपकर पर सेनवैट क्रेडिट का लाभ उत्पाद शुल्क के एवज में विनिर्माताओं तक भी पहुंचाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सेवा प्रदाता द्वारा उपकर के भुगतान पर सेनवैट क्रेडिट की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, विनिर्माण इकाइयां इसका लाभ नहीं ले पाएंगी, क्योंकि यहां सीधे कोई उपकर देनदारी नहीं है।
यह भी पढ़ें- मौजूदा वित्त वर्ष में ग्रोथ 8 फीसदी से अधिक रहने की उम्मीद, पटरी पर लौटेगा एग्रीकल्चर सेक्टर: पनगढ़िया
यह भी पढ़ें- 2016-17 में 7.4 फीसदी रहेगी भारत की GDP, बेहतर मानसून से बढ़ेगी खर्च करने की क्षमता
एसोचैम ने सरकार से कृषि क्षेत्र के कारोबार में लगी इकाइयों द्वारा कृषि कल्याण उपकर सहित सेवा कर रिफंड की अनुमति देने का भी आग्रह किया है। इन इकाइयों में जहां उत्पादन अथवा सेवाओं पर छूट की वजह से सेनवैट क्रेडिट का लाभ नहीं उठाया जा सकता है। कर शोध यूनिट के 29 फरवरी 2016 के पत्र के अनुसार इस उपकर पर मिलने वाली क्रेडिट सुविधा का लाभ सेवा प्रदाता द्वारा केवल प्रस्तावित उपकर के भुगतान के लिए ही किया जाएगा।
उद्योग मंडल का कहना है कि कृषि कल्याण उपकर मामले में विनिर्माताओं को इनपुट कर क्रेडिट का लाभ देने से इनकार करना मेक इन इंडिया के उद्देश्य के विपरीत होगा क्योंकि यदि क्रेडिट नहीं मिलेगा तो यह उपकर देश में विनिर्माण लागत को बढ़ाएगा। लागत बढ़ना प्रतिस्पर्धा के लिहाज से ठीक नहीं है।
यह भी पढ़ें- देश में सबसे ज्यादा दिल्ली-NCR में हैं 2.5 लाख बिना बिके मकान, कीमतों में आई 25-35% गिरावट
Latest Business News