नई दिल्ली। भारत के आर्थिक ग्रोथ के उंचे आंकड़ों को संदेह की नजर से देखने वालों में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि अमेरिका के विदेश विभाग की तरफ से भारत के वृद्धि आंकड़ों पर संदेह व्यक्त किए जाने के बाद सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी गौर किया कि देश के भीतर भी आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों को लेकर समय समय पर सवाल उठते रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा जो कि मोदी सरकार की उसकी आर्थिक और विदेश नीतियों को लेकर समय समय पर आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने कहा, सरकार को आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों के बारे में स्पष्टीकरण इसलिए नहीं देना चाहिए कि मैं अमेरिका की बात का समर्थन कर रहा हूं बल्कि इसलिये देना चाहिए कि घरेलू स्तर पर भी विभिन्न वर्गों से इसकी आलोचना होती रही है। मोदी सरकार के अमेरिका के प्रति बढ़ते झुकाव पर चुटकी लेते हुए सिन्हा ने कहा, यदि घरेलू आलोचना को नजरंदाज भी कर दिया जाए तो भी सरकार को इस संबंध में स्पष्टीकरण देना चाहिए क्योंकि उसके सबसे अच्छे मित्र -अमेरिका ने भी इन आंकड़ों के बारे में असंतोष जताया है।
सिन्हा ने कहा कि वर्ष 2015-16 में 1,40,000 करोड़ रुपए के आंकड़ों की विसंगति की वजह से आर्थिक वृद्धि दर अधिक बढ़ी हो सकती है क्योंकि एक साल पहले यह आंकड़ा केवल 30,000 करोड़ पर था। यदि इस विसंगति को दूर किया जाता है तो उसके बाद वृद्धि का आंकड़ा तेजी से नीचे आ सकता है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों का मूल्यांकन के मानदंडों में बदलाव किया जिसके बाद आर्थिक वृद्धि के पिछले आंकड़ों में काफी तेजी आ गई। सिन्हा ने इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया कि वृद्धि आंकड़ों को जारी करने वाला सांख्यिकी विभाग क्या इन बदलावों के लिये पूरी तरह से तैयार था।
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