नई दिल्ली। केंद्र ने नई रिवाइज्ड बिल्डिंग कोड का प्रस्ताव किया है, जिसे राज्यों को अपनाना होगा। इसके तहत इमारत के ढांचे की सुरक्षा के लिए बिल्डर जिम्मेदार होंगे। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने रिवाइज्ड बिल्डिंग कोड पेश किया। इस संहिता को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने तैयार किया है। हालांकि, यह संहिता स्वैच्छिक प्रकृति की है, लेकिन राज्य इसे अपने भवन उपनियमों में शामिल कर सकते हैं।
पासवान ने विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के मौके पर रिवाइज्ड बिल्डिंग कोड जारी करते हुए कहा कि,
इस कोड में नई और नवोन्मेषी सामग्री और प्रौद्योगिकियों को लेकर प्रावधान हैं। साथ ही इसमें प्री फैब्रिकेटेड निर्माण तकनीकों के प्रावधान हैं। इससे तेजी से निर्माण कर 2022 तक सभी के लिए घर के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
- बीआईएस के निदेशक (सिविल इंजीनियरिंग) संजय पंत ने कहा कि इस कोड में 34 अध्याय हैं।।
- इसका इस्तेमाल स्थानीय निकाय भवन उपनियम बनाने के लिए करेंगे।
- सरकारी विभागों द्वारा इसका इस्तेमाल निर्माण गतिविधियों में किया जाता है।
- इसका इस्तेमाल निजी बिल्डरों, आर्किटेक्ट, प्लानर्स और इंजीनियर जैसे पेशेवरों द्वारा किया जाता है।
- इसका इस्तेमाल अकादमिक उद्देश्य से भी होता है।
- रिवाइज्ड बिल्डिंग कोड में प्रमुख बदलावों के बारे में उन्हेंने कहा कि अभी तक ढांचे की सुरक्षा के लिए डिजाइनरों और निरीक्षकों को ही जिम्मेदार माना जाता था।
- इसमें जियो तकनीकी इंजीनियरों और बिल्डरों की जिम्मेदारी नहीं होती थी। अब बिल्डर भी ढांचे की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होंगे।
- बिल्डरों को यह प्रमाणपत्र देना होगा कि संबंधित भवन का निर्माण स्थानीय निकायों को जमा कराए गए डिजाइन के अनुरूप किया गया है।
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