नयी दिल्ली। सरकार ने अधिकतम स्वीकार्य निर्यात कोटा (एमएईक्यू) योजना के तहत 2019-20 के मौजूदा विपणन वर्ष के लिए 6,50,000 टन चीनी कोटा का नए सिरे से आवंटन किया है। इस कोटा का इस्तेमाल नहीं हो पाया था। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। सरकार ने चालू साल के लिए कोटा के तहत 60 लाख टन चीनी निर्यात की मंजूरी दी थी। अधिशेष चीनी की स्थिति से निपटने को यह कदम उठाया गया था।
खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुबोध सिंह ने कहा कि कुछ मिलें इस साल अपने निर्यात कोटा को पूरा नहीं कर सकी हैं। वहीं कुछ मिलों ने 2,50,000 टन के निर्यात कोटा को छोड़ दिया है। सिंह ने कहा, 'हमने एक फॉर्मूले के आधार पर समूचे कोटा को समायोजित किया है। कुल 6,50,000 टन के निर्यात कोटा का नए सिरे से आवंटन किया गया है।'
सिंह ने यहां एथेनॉल पर आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से अलग से बातचीत में कहा कि ऊंची वैश्विक मांग से चालू विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान चीनी का कुल निर्यात 50 लाख टन पर पहुंच सकता है। भारत ने 2018-19 के विपणन वर्ष में 50 लाख टन के अनिवार्य कोटा पर 38 लाख टन चीनी का निर्यात किया था।
अधिकारी ने कहा कि इस साल देश का कुल चीनी उत्पादन 2.7 करोड़ टन रह सकता है। इससे पिछले दो वर्ष के दौरान चीनी का उत्पादन 3.3 करोड़ टन रहा था। अभी तक मिलें 1.6 से 1.7 करोड़ टन चीनी का उत्पादन कर चुकी हैं। इस साल पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण के बारे में सिंह ने कहा कि हम पांच प्रतिशत यानी 1.9 अरब लीटर के स्तर को हासिल कर पाएंगे। हालांकि, इसके लिए नीति 10 प्रतिशत की है।
सिंह ने कहा, ‘‘इस साल इसे हासिल करना मुश्किल होगा क्योंकि महाराष्ट्र में गन्ने का उत्पादन काफी घट गया है। हालांकि, हम पांच प्रतिशत को हासिल कर पाएंगे।’’ देश में अभी एथेनॉल का उत्पादन 355 करोड़ लीटर है। हालांकि, पेट्रोलियम विपणन कंपनियों (ओएमसी) की जरूरत 511 करोड़ लीटर की है।
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