नई दिल्ली। सरकार ने भारत की सॉवरेन रेटिंग में सुधार न करने पर ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों को आड़े हाथ लिया। सरकार ने कहा कि इतने रिफॉर्म्स के बाद भी भारत की रेटिंग में सुधार न करने वाली एजेंसियों को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है, क्याेंकि वैश्विक स्तर पर निवेशकों का मानना है कि भारत की रेटिंग को कम या निचले स्तर पर रखा गया है।
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आर्थिक सुधारों की राह पर बढ़ती रहेगी सरकार
- S&P ग्लोबल रेटिंग्स द्वारा अगले दो साल के लिए भारत की रेटिंग में सुधार की संभावना से इनकार किया है।
- आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास ने कहा कि सरकार आर्थिक सुधार और नीतियों की राह पर आगे चलना जारी रखेगी।
- S&P ने भारत की रेटिंग को निचले निवेश ग्रेड बीबीबी- पर कायम रखा है।
- दास ने कहा कि सरकार आर्थिक सुधारों के अलावा विभिन्न नीतिगत पहलों को आगे बढ़ाती रहेगी।
- रेटिंग एजेंसियों को अपना विचार तय करने का अधिकार है।
- दास ने कहा, मैं किसी के तरीके पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। यह विस्तृत रिपोर्ट है जिसे हम देखेंगे।
- वे स्वतंत्र रेटिंग एजेंसियां हैं। हम उनकी टिप्पणी का सम्मान करते हैं।
- विशेष रूप से हम सभी रेटिंग एजेंसियों की टिप्पणियों तथा निष्कर्षों को अत्यधिक महत्व देते हैं।
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दास ने कहा
यदि रेटिंग में सुधार नहीं होता है, तो यह ऐसा मामला है जो हमें अधिक परेशान नहीं करता है। यह ऐसा सवाल है जिसके जवाब में रेटिंग करने वालों को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है। यह निवेशकों की सोच, या उनके मन में क्या है तथा रेटिंग एजेंसियों के निष्कर्ष में अलगाव है। मुझे लगता है कि कहीं किसी तरह के जुड़ाव की कमी है।
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