नयी दिल्ली: बेहतर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुये सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह विद्युत आपूर्ति के क्षेत्र में मौजूदा और कार्यान्वयन के अधीन 26 परियोजनाओं के अतिरिक्त 17 नई द्वीपीय योजनाओं की तैयारी कर रही है। विद्युत आपूर्ति के मामले में द्वीपीय योजना बिजली व्यवस्था के लिए एक सुरक्षा तंत्र है, जिसमें प्रणाली के एक हिस्से को एक संकटग्रस्त ग्रिड से काट दिया जाता है, ताकि यह उप-खंड शेष ग्रिड से अलग रह सके और इसमें बिजली आपूर्ति की निरंतरता बनी रहे।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) ने बताया है कि प्रमुख शहरों के लिए 17 नई आइलैंडिंग योजनाएं बनाई गईं हैं। इसके अलावा 26 मौजूदा या कार्यान्वयन के अधीन योजनाएं पहले से हैं।’’ सीईए ने आगे कहा कि सभी राज्य लोड डिस्पैच केंद्रों (एसएलडीसी) को सलाह दी गई है कि वे शामिल होने वाले जनरेटर और महत्वपूर्ण लोड की वास्तविक समय में निगरानी के लिए पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए) पर आइलैंडिंग योजना को अलग से प्रदर्शित करें।
सीईए ने कहा कि यही डिस्प्ले संबंधित आरएलडीसी (क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केंद्र), एसएलडीसी और सब-एसएलडीसी पर भी उपलब्ध होगा। बिजली सचिव आलोक कुमार ने गुरुवार को यहां सीईए, सभी पांच क्षेत्रीय बिजली समितियों, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन और पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन के साथ भारतीय बिजली व्यवस्था में सभी मौजूदा और नियोजित द्वीपीय योजनाओं की समीक्षा की। मंत्रालय ने कहा कि बिजली ग्रिड का लचीलापन विशेष रूप से किसी भी बड़े बिजली संकट की स्थिति में आपूर्ति बहाल करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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