नई दिल्ली। इसके तहत पर्यटक, व्यापार, चिकित्सा तथा सम्मेलन वीजा को मिलाकर एक वीजा बनाया जाएगा जिससे अधिक लोगों को आकर्षित किया जा सके और व्यापार को प्रोत्साहन दिया जा सके। सेवाओं का व्यापार बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सुझाव के बाद वाणिज्य मंत्रालय ने पहली बार पर्यटकों, कारोबारियों तथा इलाज के लिए यहां आने वाले अथवा किसी सम्मेलन या फिल्म शूटिंग के लिए यहां आने वाले लोगों को इस प्रस्तावित नई श्रेणी के तहत लाया जा सकता है।
इससे जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि दीर्घावधि का बहु प्रवेश वीजा संभवत: 10 साल की अवधि के लिए दिया जाएगा, लेकिन इस श्रेणी के तहत आने वाले लोग यहां स्थाई रूप से काम नहीं कर सकेंगे और स्थाई रूप से रह नहीं सकेंगे। प्रस्ताव के अनुसार यदि किसी विदेशी को दीर्घावधि का बहु प्रवेश गैर कार्य और गैर स्थाई रूप से रुकने का वीजा मिलता है। उसे यहां सिर्फ 60 दिन तक ही रूकना है तो सरकार वीजा शुल्क में छूट भी देगी। अधिकारी ने कहा कि इसके लिए यात्रियों को बायो मीट्रिक ब्योरा देना होगा और कुछ सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करना होगा।
अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है। उम्मीद है कि इसे जल्द क्रियान्वित किया जाएगा। यह योजना वाणिज्य मंत्रालय की देश का सेवाओं का व्यापार बढ़ाने की पहल का हिस्सा है। माना जाता है कि भारत विदेशियों तथा विदेशी मुद्रा को हासिल करने के मामले में सालाना करीब 80 अरब डॉलर के अवसर गंवा रहा है। भारत में अकेले चिकित्सा पर्यटन की तीन अरब डालर है और इससे 2020 तक 7 से 8 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की उम्मीद है। भारत में इलाज के लिए आने वाले विदेशी मरीजों की संख्या 2012 में 1,71,020 रही, 2013 में यह 2,36,898 पर पहुंच गई। जबकि 2014 में घटकर 1,84,298 रह गई।
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