नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जिस पीएम मत्स्य संपदा योजना का शुभारंभ किया, वह सफलता से धरातल पर उतरी तो न केवल देश को मोटा मुनाफा होगा, बल्कि नए रोजगार भी बढ़ेंगे। मोदी सरकार अगले पांच वर्षो के भीतर मछली निर्यात को जहां एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचाना चाहती है, वहीं इस सेक्टर में करीब 55 लाख नए रोजगार के मौके भी उपलब्ध कराने की कोशिश है। दुनिया में दूसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक देश भारत में फिलहाल करीब एक करोड़ 60 लाख से ज्यादा लोग इस सेक्टर में रोजगार से जुड़े हैं।
क्या है मत्स्य संपदा योजना
दरअसल देश में इस समय करीब 46 हजार करोड़ रुपये मछली निर्यात से आते हैं। सरकार मछली उत्पादन बढ़ाकर निर्यात की धनराशि में दोगुने से ज्यादा का इजाफा करने में जुटी है। इसी सिलसिले में शुरू हुई प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना काफी मददगार हो सकती है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत पूरे पांच साल में 20,050 करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश इस योजना में होना है। इनमें से करीब 12,340 करोड़ रुपये समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में होंगे, वहीं 7,710 करोड़ रुपये का निवेश मछली पालन के आधारभूत संसाधनों के लिए होगा। इस प्रकार 20 हजार करोड़ रुपये खर्च कर, सरकार एक लाख करोड़ रुपये के निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी में है।
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए देश में 2024-25 तक मछली उत्पादन को 70 लाख टन बढ़ाना है। इससे देश में मछली निर्यात का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो फिर मछली पालन से जुड़े किसानों की आय दोगुनी होगी। योजना के तहत मछली पालन में 20-25 प्रतिशत के नुकसान को दस प्रतिशत तक किया जाएगा। यह पूरी योजना करीब 55 लाख नए रोजगार पैदा करेगी।"
कैसे बढ़ेगा मछली पालन
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए कई मोर्चो पर एक साथ काम शुरू होगा। गुणवत्तापूर्ण प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा। मछली पालन के लिए देश में जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा। किसानों को मछली उत्पादन पर उचित मूल्य मिले, इसके लिए भी समुचित इंतजाम होंगे। मछली प्रबंधन ढांचे को मजबूत किया जाएगा। नीली क्रांति योजना को और विस्तार दिया जाएगा। मत्स्य समूहों के निर्माण के जरिए मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। मछली पकड़ने वाले जहाजों का बीमा, अच्छी नावों की व्यवस्था, ब्रीडिंग सेंटर्स स्टार्टअप्स सुविधाओं का विस्तार होगा।
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