केयर्न मामले में मीडिया में आ रही कुछ रिपोर्ट्स को सरकार ने बताया गलत, कहा कुछ पक्ष फैला रहें हैं भ्रम
भारत सरकार के साथ ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी के विवाद में एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत का निर्णय केयर्न के पक्ष में गया है। जिसने सरकार को 1.2 अरब डॉलर की राशि चुकाने का आदेश दिया है।
नई दिल्ली। केयर्न मामले में सरकारी बैंकों के विदेशी मुद्रा खातों से जुड़ी कुछ खबरों को सरकार ने पूरी तरह से गलत बताया है। वित्त मंत्रालय ने आज एक रिलीज जारी कर कहा कि इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है, कुछ पक्ष योजनाबद्ध तरीके से भ्रम फैला रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि सरकार पूरी ताकत के साथ केयर्न के साथ लीगल विवाद में अपना बचाव कर रही है।
मीडिया में क्या आईं थी खबरें
कुछ मीडिया में हाल ही में ऐसी खबरें आईं, जिसमें दावा किया गया था कि केयर्न के साथ कानूनी विवाद में सरकारी बैंकों के विदेशी मुद्रा खातों के जब्त होने की आशंका को देखते हुए सरकार ने इन खातों से धन निकालने को कहा है। सोर्स के आधार पर दी गयी इन खबरों को भारत सरकार ने झूठा बताया है और कहा है कि ये रिपोर्ट पूरी तरह से गलत तथ्यों पर आधारित हैं। भारत सरकार ने कहा कि ऐसा लगता है कि इसमें शामिल कुछ पक्ष ऐसे भ्रम फैलाने वाली रिपोर्टिंग की योजना बनायी हैं, जो कि अक्सर सोर्स के आधार पर पेश की जाती हैं और किसी मामलें की पूरी तरह से एकतरफा तस्वीर सामने रखती हैं।
मामलें में अपना पक्ष रख रही है सरकार
मंत्रालय की रिलीज के मुताबिक भारत सरकार इस विवाद में अपना बचाव कर रही है। सरकार ने 22 मार्च 2021 को हेग कोर्ट ऑफ अपील के इंटरनेशनल आर्बिट्रल फैसले को रद्द करने के लिये आवेदन दिया है। रिलीज के मुताबिक केयर्न के वरिष्ठ अधिकारियों ने मामलें को सुलझाने के लिये सरकार से संपर्क किया है। सरकार भारत के कानूनों के तहत इस मामलों के बेहतर तरीके से निपटाने के लिये सदैव तैयार है।
क्या है मामला
भारत सरकार के साथ ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी के विवाद में एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत का निर्णय केयर्न के पक्ष में गया है। मध्यस्थता अदालत ने कंपनी पर भारत द्वारा पिछली तिथि से प्रभावी कानून संशोधन के माध्यम से लगाए गए कर को निरस्त कर दिया है और सरकार को केयर्न एनर्जी का 1.2 अरब डॉलर की राशि चुकाने का आदेश दिया था। वहीं भारत सरकार का तर्क है कि किसी सरकार द्वारा लगाया गया कर उसके सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र का विषय है जिसे निजी मध्यस्थता अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। केयर्न ने पूर्व में कहा था कि यह फैसला बाध्यकारी है और वह विदेशों में भारतीय संपत्तियों को जब्त कर इसका प्रवर्तन कर सकती है। केयर्न ने 1994 में भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश किया था। एक दशक बाद कंपनी ने राजस्थान में बड़ा तेल भंडार खोजा था। बीएसई में कंपनी 2006 में सूचीबद्ध हुई थी। पांच साल बाद सरकार ने पिछली तारीख के कर कानून के आधार पर केयर्न से पुनर्गठन के लिए 10,247 करोड़ रुपये का कर मय ब्याज और जुर्माना अदा करने को कहा था। केयर्न ने इसे हेग में पंचाट न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी।
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