नई दिल्ली। सरकार देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह को और बढ़ावा देने के लिए रिटेल कारोबार जैसे क्षेत्रों से जुड़े कुछ बाधक नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बताया कि इस बारे में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर संबंधित विभागों और मंत्रालयों के साथ विचार कर सकता है।
रिटेल व्यापार के क्षेत्र में वैध मापतौल पद्धति (पैकेज्ड कमोडिटी) नियम 2011 में कुछ नियम, उप-नियम हैं, जिनकी वजह से इस क्षेत्र में विदेशी निवेश में अड़चन आ रही है।
- नियम के मुताबिक सभी उत्पादों पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) रखना अनिवार्य है और वस्तुओं पर फिर से लेबल लगाने की भी अनुमति नहीं है।
- क्योंकि फिर से लेबल लगाना विनिर्माण की परिभाषा में आ जाता है।
- आयातित सामानों के मामले में एमआरपी को केवल अनुबद्ध क्षेत्र में ही तय किया जाता है।
- इस नियम से विदेशी उद्यमियों के लिए लेनदेन की लागत बढ़ जाती है।
- ये शर्तें विदेशी खुदरा विक्रेताओं के लिए लेनदेन की लागत बढ़ा देतीं हैं इसलिए इन पर नए सिरे से गौर किए जाने की आवश्यकता है।
- अन्य क्षेत्रों में भी कुछ ऐसे ही मुद्दे हैं। कुल मिलाकर विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई के समक्ष आड़े आने वाले मुद्दों का समाधान करना है ताकि देश में एफडीआई प्रवाह और बढ़ाया जा सके।
- सरकार ने इससे पहले पिछले साल नवंबर में एफडीआई नीति को उदार बनाया था।
- इस साल जून में भी करीब एक दर्जन क्षेत्रों में कई प्रतिबंधों को हटाया गया।
- जून में नागरिक उड्डयन, खाद्य प्रसंस्करण, रक्षा और औषधि क्षेत्र में कुछ प्रतिबंधों को दूर किया गया।
- डीआईपीपी ने हाल में कहा था कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों में नीतियों से जुड़े मुद्दों का समाधान करने का प्रयास कर रही है।
- वर्ष 2015-16 में देश में एफडीआई 29 प्रतिशत बढ़कर 40 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
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