नई दिल्ली। वसूल नहीं हो रहे कर्जों पर नुकसान दिखाने के नियम के कारण बैंकों के परिचालन लाभ और उनकी ऋण देने की क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। बैंकों को इस स्थिति से उबारने के लिए वित्त मंत्रालय उन्हें विशेष प्रकार का बांड जारी करने का नया प्रयोग करने के पर विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों यानी एनपीए के लिए ‘प्रावधान में सहारे का बांड’ (PSC) जारी करने से बैंकों के परिचालन लाभ को बचाने में मदद मिलेगी और उनकी बैलेंस-शीट की हालत अच्छी दिखेगी। इससे बैंक कर्ज देने के कारोबार पर ध्यान दे सकेंगे।
सूत्रों ने कहा कि इस योजना के तहत बैंकों को उनके एनपीए संबंधी प्रावधान के बराबर पीएससी दिए जाएंगे और उनकी पूंजी का स्तर बना रहेगा। सूत्रों ने कहा कि इस योजना के विभिन्न पहलुओं पर अभी विचार चल रहा है।
देश में सभी बैंकों का सकल एनपीए गत 31 दिसंबर को 8,40,958 करोड़ रुपए था। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा सरकारी बैंकों का था। ऊंचे एनपीए और उसके कारण नुकसान के भारी प्रावधान के चलते बैंकों के लाभ में भारी गिरावट हुई या वे घाटे में आ गए है। इससे उनकी पूंजी और ऋण देने की क्षमता प्रभावित हो रही है। गत दिसंबर के अंत में देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक का सकल एनपीए 2,01,560 करोड़ रुपए था।
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