नई दिल्ली। सरकार ई-कॉमर्स रिटेलिंग के मार्केट प्लेस मॉडल में 100 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की मंजूरी देने पर विचार कर रही है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य और जयादा विदेशी निवेश को आकर्षित करना है। सूत्रों ने बताया कि ई-कॉमर्स, आईटी और आईटीईएस के लिए एफडीआई नियम विस्तृत गाइडलाइंस का हिस्सा होंगे, जिसे सरकार जल्द ही जारी करेगी।
पिछले हफ्ते डीआईपीपी, कॉरपोरेट अफेयर्स और इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट के सीनियर अधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई थी। सूत्रों के मुताबिक डीआईपीपी ने ई-कॉमर्स के मार्केट प्लेस मॉडल में 100 फीसदी एफडीआई करने का सुझाव दिया है। इस प्रकार के मॉडल में ई-कॉमर्स कंपनी खरीदारों और विक्रेताओं को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है। वर्तमान में ग्लोबल ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और ई-बे भारत में ऑनलाइन मार्केटप्लेस का संचालन कर रही हैं, जबकि घरेलू कंपनियों जैसे फ्लिपकार्ट और स्नैपडील विदेशी निवेश के साथ इस मॉडल पर काम कर रही हैं। विभिन्न ऑनलाइन रिटेल मॉडल को लेकर कोई स्पष्ट एफडीआई गाइडलाइंस नहीं हैं।
एक ई-कॉमर्स कंपनी अपना बिजनेस या तो मार्केट प्लेस मॉडल या इनवेंट्री बेस्ड मॉडल के आधार पर चला सकती है। इनवेंट्री बेस्ड मॉडल में कंपनी का अपना स्वयं का वेयरहाउस होता है, जहां सामान रखा जाता है। अधिकारियों ने ई-कॉमर्स की परिभाषा भी तय करने पर विचार किया। इसमें खरीदार और विक्रेता के बीच इंटरनेट, मोबाइल और टेलीवीजन के जरिये होने वाले इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन को भी कवर किया जा सकता है।
डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) ऑनलाइन और ऑफलाइन रिटेलर्स के बीच छिड़ी जंग के बीच ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए गाइडलाइंस तैयार करने में जुटा है। डिपार्टमेंट इसके लिए राज्यों, ई-कॉमर्स कंपनियों और अन्य विभागों के साथ चर्चा कर चुका है। वर्तमान में केवल बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) ई-कॉमर्स में ही 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है।
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