नई दिल्ली। आसमान छूती दालों की कीमतों में काबू पाने के लिए सरकार अतिरिक्त दाल आयात करने पर विचार कर रही है। इस समय भी दालों के दाम 180 रुपए प्रति किलो तक की उंचाई पर चल रहे हैं। सप्लाई और डिमांड में गैप की वजह से दालों की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी आई थी। अभी तक एमएमटीसी ने 5,000 टन अहर दाल का आयात किया है। यह स्टॉक दिल्ली सहित कुछ अन्य राज्यों को सब्सिडी रेट पर दिया गया है, जिससे खुले बाजार में इसकी बिक्री की जा सके।
और दालें होगीं आयात
वित्त, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले, कृषि और वाणिज्य मंत्रालयों के सचिवों की हुई बैठक में दालों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई और कीमत कीमत की स्थिति पर विचार विमर्श हुआ। इस बैठक में समिति ने और दालों का आयात करने का फैसला किया। सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा आयातित दालों की मात्रा की निगरानी का भी फैसला किया गया। सूत्रों के मुताबिक वाणिज्य और उपभोक्ता मामलों के सचिव निजी व्यापारियों के साथ PSUs से अलग-अलग बैठक करेंगे, जिससे आने वाले महीनों में दालों के आयात की योजना बनाई जा सके। गौरतलब है कि मानसून कमजोर रहने की वजह से फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई-जून) के दौरान दालों के घरेलू उत्पादन में 20 लाख टन की कमी आई है।
डिमांड और सप्लाई में गैप से महंगी हुई दालें
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान दालों की महंगाई के बार में कहा कि कीमतों में बढ़ोत्तरी मुख्यत: दलहनों की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर के कारण है। कुछ दलों के भाव अब भी 180 रुपए प्रति किलो के ऊपर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने दलहनों की कीमतों में तेजी को नियंत्रित करने के लिए इसके स्टॉक रखने की सीमा को लागू करने और जमाखोरों, आयातकों के खिलाफ कार्रवाई सहित कई अन्य उपाय किए हैं। पासवान ने कहा कि दलहनों का उत्पादन करीब 1.75 करोड़ टन का है जबकि इसकी मांग करीब 2.5 करोड़ टन की है।
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