नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में उसके पांच सहयोगी बैंकों के सफलतापूर्वक विलय से उत्साहित सरकार अन्य सार्वजनिक बैंकों के विलय पर विचार कर रही है। वित्त मंत्रालय एक ऐसे ही अन्य प्रस्ताव पर तेजी से विचार कर रहा है, जिसमें चालू वित्त वर्ष के अंत तक एक नए बड़े बैंक का उदय हो सकता है। सरकार का लक्ष्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का आपस में विलय कर देश में 4-5 विश्व स्तरीय बैंक बनाने का है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विलय जरूरी है लेकिन इस संबंध में कोई भी निर्णय व्यावसायिक रूप से उचित मानकों के आधार पर ही लिया जाएगा। यदि एनपीए की स्थिति बेहतर होती है तो चालू वित्त वर्ष के अंदर एक और विलय हो सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) अप्रैल-दिसंबर 2016-17 में एक लाख करोड़ रुपए बढ़कर 6.06 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई हैं। सबसे ज्यादा एनपीए पावर, स्टील, रोड इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्सटाइल सेक्टर में है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली कई बार कह चुके हैं कि भारत को 5-6 विश्व स्तरीय बैंकों की जरूरत है और बैंकिंग क्षेत्र में और विलय उचित समय पर होंगे। अधिकारी ने कहा कि यहां किसी भी बहुत कमजोर बैंक का विलय मजबूत बैंक के साथ नहीं किया जाएगा। बाद में यह नुकसान दायक साबित हो सकता है।
अधिकारी ने बताया कि यहां कुछ अच्छे बैंक हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा जैसा बड़ा बैंक दक्षिण में कुछ उभरते बैंकों जैसे इंडियन ओवरसीज बैंक का अधिग्रहण कर सकता है। इसी प्रकार देना बैंक का विलय किसी बड़े दक्षिण भारतीय बैंक के साथ किया जा सकता है।
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