नई दिल्ली। मोदी सरकार का फोकस लगता है अब स्टार्ट-अप्स से पूरी तरह हट गया है। सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी स्टार्टअप इंडिया पहल का हिस्सा इंडिया एस्पीरेशन फंड के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के लिए एक भी रुपए का प्रावधान नहीं किया है। इतना ही नहीं सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए तय किए गए 600 करोड़ रुपए के आबंटन को भी घटाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया है।
स्टार्ट-अप्स को फंड ऑफ फंड ऑपरेशन के जरिये समर्थन देने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अगस्त 2015 में 2,000 करोड़ रुपए की शुरुआती राशि के साथ इंडिया एस्पीरेशन फंड (आईएएफ) की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को शेयर पूंजी उपलब्ध कराना है।
- सिडबी द्वारा प्रबंधित इंडिया एस्पीरेशन फंड में एलआईसी को भी भागीदार और सह-निवेशक बनाया गया है।
- बजट 2017-18 दस्तावेजों के मुताबिक सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए इस फंड के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।
- उसके बाद अगले वित्त वर्ष में इसमें 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, जिसे संशोधित अनुमान में घटाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया गया।
- एक फरवरी को पेश किए गए 2017-18 के बजट में स्टार्ट-अप्स के लिए इस मद में कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
- इस कोष की शुरुआत के समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि इससे स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई में हजारों करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश करने में मदद मिलेगी।
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