नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आ रही रिकॉर्ड गिरावट का पूरा फायदा आम जनता को नहीं मिलेगा। इसका कारण यह है कि सरकार अगले महीने पेश होने वाले बजट से पहले पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में और वृद्धि करने की संभावना तलाश रही है। यदि एक्साइज ड्यूटी और बढ़ती है तो तेल कंपनियां गिरती कीमतों का पूरा फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचा पाएंगी। सरकार यह कदम इसलिए उठा रही है ताकि राजस्व बढ़ाया जा सके और 2015-16 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहा जा सके।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि कच्चे तेल की घटती कीमतों से पेट्रोल व डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की गुंजाइश बनी है। इससे चालू वित्त वर्ष के लिए 3.9 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी। राजकोषीय घाटे का लक्ष्य अटल है और लक्ष्य पूरा करने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर अब तक कुल चार बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जा चुकी है। इससे उसे चालू वित्त वर्ष में अतिरिक्त 14,000 करोड़ रुपए जुटाने में मदद मिली है और इससे वह विनिवेश प्राप्तियों व अप्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी की आंशिक भरपाई कर सकी है।
Facts of Crude oil
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छले सप्ताह सरकार ने पेट्रोल पर 75 पैसे प्रति लीटर और डीजल पर 2 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी, जिससे उसे 3,700 करोड़ रुपए के अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति में मदद मिलेगी। दो सप्ताह से भी कम समय में एक्साइज ड्यूटी में यह दूसरी बार बढ़ोत्तरी की गई थी। कच्चे तेल की कीमतें पहले ही 12 साल के निचले स्तर 29 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुकीं हैं। इसके अलावा, ईरान पर प्रतिबंध हटाए जाने से कच्चे तेल की गिरती कीमतों पर और दबाव बना हुआ है, जिससे संभावना जताई जा रही है कि कच्चे तेल की कीमतें अभी और नीचे जा सकती हैं।
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