सरकार असंगठित क्षेत्र में भी महिलाओं को मातृत्व लाभ देने पर कर रही विचार
सरकार अब असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली करीब 10 करोड़ महिलाओं के लिए भी अंशदान आधारित मातृत्व लाभ योजना शुरू करने पर विचार कर रही है।
नई दिल्ली। सरकार अब असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली करीब 10 करोड़ महिलाओं के लिए भी अंशदान आधारित मातृत्व लाभ योजना शुरू करने पर विचार कर रही है। इससे पहले सरकार कंपनियों (संगठित क्षेत्र) में काम करने वाली महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ की सुविधा को बढ़ाकर छह माह करने के प्रावधान वाला विधेयक राज्यसभा में पारित करा चुकी है। राज्य सभा पिछले सप्ताह संगठित क्षेत्र में काम करने वाली माताओं को 26 सप्ताह की छुट्टी मुहैया कराने से जुड़ा मातृत्व लाभ विधेयक 2016 सर्वसम्मति से पारित कर चुकी है। श्रम मंत्रालय अब गैर-संगठित क्षेत्र की महिलाओं को भी इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है।
श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने कहा, हम सेवानिवृत्ति कोष संस्थान ईपीएफओ और कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा अंशदान आधारित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की तर्ज पर मातृत्व लाभ प्रदान करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, यह योजना अंशदान पर आधारित होगी जिसमें अंशदानकर्ता और सरकार बराबर का योगदान करेंगे। सदस्यों के पास न्यूनतम योगदान से अधिक अंशदान का भी विकल्प होगा ताकि वे उन दिनों के लिए अधिक राशि बचा सकें। उन्होंने कहा, कुछ लॉक-इन अवधि (जिसमें राशि निकाली नहीं जा सके) होगी ताकि इस धन का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सके। अंशदानकर्ताओं को इन जमाओं पर ब्याज भी मिलेगा जो उनके खातों में जाएगा।
अग्रवाल ने इस योजना के बारे में एक ऐसे प्रावधान के बारे में भी बताया कि यदि योजना में शामिल कोई अंशदानकर्ता महिला तय आयु तक बच्चे को जन्म नहीं दे पातीं तो उन्हें अपनी पूरी राशि निकालने की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र की माताओं को छह महीने के लिए वेतन के साथ मातृत्व अवकाश का लाभ प्रदान कर पाना सरकार के लिए संभव नहीं होगा क्योंकि इसके लिए काफी धन की जरूरत होगी।
मातृत्व लाभ विधेयक 2016 के आगामी शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पारित होने के बाद संगठित क्षेत्र में काम करने वाली करीब 18 लाख महिलाओं को इसका फायदा होगा। मातृत्व लाभ विधेयक उन सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जिनमें 10 अथवा इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। लेकिन यह नया कानून खेतों में अथवा घरों में काम करने वाली करोड़ों महिलाओं पर लागू नहीं होगा इसलिये सरकार ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को मातृत्व लाभ देने के लिये अंशदान वाली योजना पर विचार शुरू किया है।