नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत मजदूरी बढ़ने की संभावना है। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस योजना के तहत श्रमिकों को भुगतान के लिए तय न्यूनतम मजदूरी (बेसलाइन) को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिन्हा ने बुधवार को यह जानकारी दी।
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राज्यों से बातचीत के बाद होगा फैसला
ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिन्हा ने कहा कि मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के संबंध में एस महेंद्र देव समिति के सुझावों पर विचार कर रहे हैं। इस पर अंतिम फैसला राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा। मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी फिलहाल खेतिहर मजदूरों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-एएल) से जुड़ी हुई है।
महेंद्र देव की अध्यक्षता वाली समिति ने दिए थे अहम सुझाव
- केंद्र सरकार की गठित अर्थशास्त्री एस महेंद्र देव की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने सुझाव दिया है कि मनरेगा के तहत मजदूरी राज्यों में न्यूनतम मजदूरी के बराबर या उससे अधिक होनी चाहिए।
- समिति का यह भी सुझाव है कि मनरेगा की मजदूरी में हर साल सीपीआई-ग्रामीण के आधार पर संशोधन किया जाना चाहिए।
- सूत्रों ने बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पहले ही इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया है। वित्त मंत्रालय इस पर और चर्चा चाहता है।
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167 से 259 रुपए तक है मजदूरी
- राज्यों में फिलहाल मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी 167 से 259 रुपए के बीच है। झारखंड में यह 167 रुपए है तो मध्यप्रदेश- छत्तीसगढ़ में यह 259 रुपए है। सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 के बजट में ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 38,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।
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