नई दिल्ली। सरकार को उम्मीद है कि सरकारी तेल वितरण कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अगले वित्त वर्ष2020-21 की पहली छमाही में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री हो जाएगी। विनिवेश विभाग इस दिशा में प्रयासरत है और इसकी समय सीमा पर विचार कर रही है ताकि संभावित बोलीदाताओं को पर्याप्त समय मिल सके। अधिकारियों ने बताया कि समयसीमा को लेकर कोई बाधा नहीं है और एक बार वैकल्पिक प्रक्रिया को वित्त, सड़क परिवहन और प्रशासनिक मंत्रालय की मंजूरी मिल जाती है तो परफॉर्मेस इन्फॉरमेशन मेमोरेंडम एंड एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी कर दिया जाएगा।
मंत्री समूह की मंजूरी का इंतजार
सूत्रों ने बताया कि बहरहाल सिर्फ असम के नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड में विनिवेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली है। बीपीसीएल के अन्य संयुक्त उपक्रमों के संबंध में माना जाता है कि उन संयुक्त उपक्रमों और सहायक कंपनियों में बीपीसीएल की हिस्सेदारी उन निजी कंपनियों को दी जाएगी जो सरकारी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करती है। विनिवेश विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीपीसीएल में हिस्सेदारी की बिक्री के लिए अब कोई बड़ी बाधा नहीं है। बीपीसीएल की बिक्री के संबंध में प्रारंभिक सूचना दस्तावेज और एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट तैयार है। इन दोनों दस्तावेजों को मंत्री समूह की मंजूरी का इंतजार है। इस मंत्री समूह में वित्त मंत्री, परिवहन मंत्री और तेल मंत्री शामिल हैं।
बीपीसीएल में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है सरकार
केंद्र सरकार बीपीसीएल में से अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। बीपीसीएल में सरकार की 53.29 फीसदी की हिस्सेदारी है। बीपीसीएल की देश के रिफाइनिंग बाजार में 14 फीसदी हिस्सेदारी है। सूत्रों का कहना है कि बीपीसीएल की बिक्री प्रक्रिया दो भागों में होगी। पहले भाग में प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) होगा, जबकि दूसरे भाग में सफल बोलीदाताओं की निविदाएं शामिल की जाएंगी।
सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन में 52.98 फीसदी की अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में पेश किए गए बजट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 2.1 लाख करोड़ रुपए का रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीपीसीएल का प्राइवेटाइजेशन बेहद जरूरी है।
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