नई दिल्ली। सरकार ने देश में नए रोजगार के अवसर पैदा करने और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप्स की परिभाषा में बदलाव किया है। नई परिभाषा के मुताबिक अब सात साल पुराने वेंचर्स को भी नया स्टार्टअप्स माना जाएगा और उसे स्टार्टअप्स इंडिया एक्शन प्लान के तहत मिलने वाले सभी फायदे दिए जाएंगे। इसके अलावा सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए टैक्स लाभ के नियमों को भी सरल किया है।
नई परिभाषा के अनुसार अब ऐसी कंपनी को स्टार्टअप माना जाएगा, जिसका कारोबार 25 करोड़ रुपए से कम हो और जो अपरिवर्तित रही हो और पंजीकरण की तारीख से लेकर अब तक सात वर्ष से अधिक पुरानी ना हो। हालांकि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए यह समयावधि 10 वर्ष है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2016 में स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम को लॉन्च किया था।
सरकार ने स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के तहत मिलने वाले इनकम टैक्स लाभ को हासिल करने के लिए नियमों को भी पहले की तुलना में और आसान बनाया है। आधिकारिक बयान के मुताबिक स्टार्टअप्स को टैक्स लाभ लेने के लिए अब किसी इनक्यूबेटर या इंडस्ट्री एसोसिएशन से सिफारिश पत्र लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
31 मार्च 2016 के बाद गठित होने वाली कंपनियां अपने संचालन के सात सालों के दौरान पहले तीन सालों में टैक्स छूट का लाभ ले सकती हैं। स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम अभी तक ज्यादा सफल नहीं रहा है और केवल 10 कंपनियां ही प्रक्रिया पूरा कर टैक्स लाभ हासिल करने में सफल रही हैं। सरकार को इंडस्ट्री से कई सुझाव मिले थे जिसमें स्टार्टअप की परिभाषा में बदलाव और टैक्स लाभ हासिल करने के नियमों को आसान बनाने की बात कही गई थी। सरकार ने इसकी समीक्षा की और इसे उद्योग के अनुकूल बनाने की कोशिश की है। डीआईपीपी ने 798 आवेदनों को स्टार्टअप के रूप में पहचान तो दी है लेकिन उन्हें टैक्स लाभ नहीं दिया गया है।
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