नई दिल्ली। दाल की आसमान छूती कीमतों पर काबू पाने के लिए रविवार को सरकार ने निर्यातकों, फूड प्रोसेसर्स और उन बड़े रिटेलर्स, जिनके कई आउटलेट्स हैं, के लिए दाल की स्टॉक लिमिट पर मिलने वाली छूट को खत्म कर दी है। यह निर्णय शुक्रवार को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया था। इस बैठक में कृषि और खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के अधिकारी भी बैठक मौजूद थे।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि अगले एक महीने में घरेलू मार्केट में नए दालों की आवक शुरू हो जाएगी। जब तक दालों की आवक शुरू नहीं हो जाती तब के लिए सरकार विभिन्न सुधारात्मक उपाय पर काम कर रही है।
इसके अलावा राज्य सरकारों को जमाखोरी विरोधी कार्रवाई तेज करने और कारोबारियों द्वारा कालाबाजारी और मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने का भी निर्देश दिया है। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि कैबिनेट सचिव रोजाना कीमत की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सभी विभागों को आवश्यक कमोडिटी खासकर दालों की कीमतों पर नजर रखने और सभी राज्यों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया है।
28 सितंबर को सरकार ने दालों, तिलहन और खाद्य तेल की स्टॉक लिमिट को बढ़ा दिया था। लेकिन उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने आयात-निर्यात कोड वाले निर्यातक, दाल को रॉ मेटेरियल के रूप में इस्तेमाल करने वाले लाइसेंसधारी फूड प्रोसेसर्स और बड़े रिटेलर्स को स्टॉक लिमिट में छूट दी थी। एक्सपर्ट्स स्टॉक लिमिट लगाने के खिलाफ है। वहीं सरकार को लगता है कि बाजार के बड़े कारोबारियों के पास दाल का स्टॉक है। इसके कारण कीमतें चढ़ रही है, इसको देखते हुए सरकार ने स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला किया है।
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दाल की कीमतों में तेजी जारी है। कमजोर सप्लाई और भारी मांग के चलते इस हफ्ते अरहर और उड़द की दाल 2500 रुपए प्रति क्विंटल तक महंगी हो गई है। वहीं इस महीने अरहर और उड़द की कीमतों में 35 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार केन्द्रीय भंडार और मदर डेरी के 300 सफल सेंटरों पर दिल्ली में आयातित तूअर दाल की बिक्री 120 रुपए और 130 रुपए प्रति किलो के हिसाब से करेगी।
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