नई दिल्ली। इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने कहा कि कंपनियों, समाज और सरकारों को देश को एक समावेशी विकास वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और साथ ही शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाना चाहिए।
मूर्ति ने यहां लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स के कार्यक्रम में कहा कि भारत के समावेशी अर्थव्यवस्था बने बिना इसे मजबूत अर्थव्यवस्था नहीं बनाया जा सकता। यह अर्थव्यवस्था स्त्री-पुरुष, क्षमता और अन्य सभी सामाजिक मानदंडों के मामले में समावेशी होनी चाहिए। दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए।
स्पष्ट, स्थिर कराधान कानूनों का प्रयास करे सरकार
नारायणमूर्ति ने दयालु पूंजीवाद का समर्थन करते हुए कहा कि स्पष्ट कराधान नियम जैसे कदमों के जरिये सरकार को व्यापारियों व उद्यमियों के लिए सुचारू कार्य संचालन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि अधिक रोजगार व धन संपदा सृजित की जा सके। उन्होंने कहा, इस आर्थिक प्रणाली (दयालु पूंजीवाद) को निगमित परिचालन प्रणाली व सार्वजनिक राजकाज प्रणाली से प्रतिबद्धता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरल, उचित व अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी टैक्स व गवर्नेंस कानूनों की जरूरत है, जो कि समझने व अनुपालन में आसान हों।
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