नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल के बजट में की गई घोषणा के अनुरूप आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी चुनिंदा निवेशक को बेचने और उसे बैंक का प्रबंध सौंपने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की। आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कुल हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से ज्यादा है। एलआईसी के पास बैंक के 49.21 प्रतिशत शेयर हैं और साथ ही वह उसकी प्रवर्तक है एवं उसके पास बैंक के प्रबंधन का नियंत्रण है।
एक आधिकारिक बयान में बुधवार को कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे दी। इसमें कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श कर तय किया जाएगा कि इस बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कीतनी-कितनी हिस्सेदारी बेची जाए। गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश करते समय घोषणा की थी कि चालू वित्त वर्ष के विनिवेश कार्यक्रम में सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण भी किया जाएगा। बजट में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है।
एआईबीईए ने निजीकरण से जुड़े सरकार के फैसले का विरोध किया
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने आईडीबीआई बैंक का निजीकरण करने से जुड़े सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे एक प्रतिगामी कदम बताया। संघ ने कहा कि सरकार को बैंक की पूंजी शेयर का 51 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखना चाहिए। बैंक संघ ने बुधवार को एक बयान में कहा कि बैंक इसलिए मुश्किलों में आया क्योंकि कुछ कॉरपोरेट घरानों ने उसके ऋण वापस न कर उसके साथ धोखाधड़ी की है। इसलिए वक्त की जरूरत है कि ऋण वापस न करने वाले कर्जदारों के खिलाफ कार्रवाई कर पैसों की वसूली की जाए।
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