नयी दिल्ली। दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी है। कंपनी ने मंगलवार को इस संबंध में शेयर बाजार को सूचित किया। भारती एयरटेल को रिजर्व बैंक से भी कंपनी में विदेशी निवेशकों को 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति है।
शेयर बाजार को दी गयी सूचना के अनुसार, 'भारती एयरटेल लिमिटेड को दूरसंचार विभाग से 20 जनवरी 2020 को विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर कंपनी की चुकता पूंजी के 100 प्रतिशत तक करने की मंजूरी मिल गयी है।' कुछ दिन पहले ही कंपनी ने वैधनिक बकाए के रूप में करीब 35,586 करोड़ रुपए का भुगतान किया। इसमें 21,682 करोड़ रुपए लाइसेंस शुल्क और 13,904.01 करोड़ रुपए स्पेक्ट्रम बकाया है। इसमें टेलीनॉर और टाटा टेली के बकाये शामिल नहीं हैं।
बता दें कि 3 जुलाई 2014 को भारतीय रिजर्व बैंक ने कंपनी में विदेशी निवेशकों के लिए पेड कैपिटल का 74 फीसदी तक निवेश करने की मंजूरी दिया था, आसान भाषा में कहें तो इसका मतलब होता है कि किसी कंपनी ने स्टॉक के बदले प्राइमरी मार्केट से कितना रकम जुटाया है।
भारती एयरटेल में किसकी कितनी हिस्सेदारी है
भारती एयरटेल में 41 फीसदी के स्टेक के साथ भारती टेलिकॉम इकलौती सबसे बड़ी हिस्सेदार है। सिंग्टेल भारती टेलिकॉम में 45 फीसदी की हिस्सेदारी रखती है, जिसकी वजह से भारती एयरटेल में इस कंपनी की कुल हिस्सेदारी 35 फीसदी बनती है। इंडियन कॉन्टिनेन्ट इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, वीरीदियन लिमिटेड जैसे टेकविदेशी निवेशकों की इस कंपनी में कुल 21.46 फीसदी की हिस्सेदारी है।
अब इस मंजूरी के बाद भारती एयरटेल को विदेशी निवेशकों से भी पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी। खासतौर पर एक ऐसे समय में, जब देश के टेलिकॉम सेक्टर की लगभग सभी कंपनियां वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हैं।
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