नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 5,000 करोड़ रुपए तक विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी देने वाला निकाय एफआईपीबी (FIPB) को समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने एफडीआई नीति को आगे और उदार बनाने की भी घोषणा की।
जेटली ने कहा, एफआईपीबी ने सफलतापूर्वक ई-फाइलिंग और एफडीआई आवेदनों का आनलाइन प्रसंस्करण को सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया। हम अब ऐसी अवस्था में पहुंच गये हैं जहां एफआईपीबी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा सकता है। इसीलिए हमने 2017-18 में एफआईपीबी को समाप्त करने का फैसला किया है। इस बारे में रूपरेखा अगले कुछ महीनों में घोषणा की जाएगी।
उन्होंने कहा, इस बीच, एफडीआई नीति को और उदार बनाने के लिये विचार किया जा रहा है और उपयुक्त समय पर जरूरी घोषणाएं की जाएगी।
यहां पढ़ें बड़ी घोषणाएं
- जिन क्षेत्रों में निवेश की स्वत: मार्ग से मंजूरी नहीं है, उसके लिए विदेशी निवेश संवद्र्धन बोर्ड से मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।
- देश में 90 प्रतिशत एफडीआई स्वत: मार्ग से आ रहा है।
- फिलहाल एफआईपीबी देश में मंजूरी मार्ग के जरिये आने वाले एफडीआई पर आवेदनों के लिये एकल खिड़की मंजूरी की पेशकश करता है।
- जो क्षेत्र स्वत: मार्ग के अंतर्गत आते हैं, उन्हें एफआईपीबी से कोई मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती और उन्हें केवल क्षेत्र से संबंधित कानून का पालन करना होता है।
- उल्लेखनीय है कि 1990 के दशक की शुरूआत में आर्थिक उदारीकरण के मद्देनजर प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत एफआईपीबी का गठन किया गया था।
- बाद में 1996 में बोर्ड का पुनर्गठन किया गया और और से औद्योगिक नीति एवं संवद्र्धन बोर्ड के अंतर्गत लाया गया। पुन: वर्ष 2003 में इसे आर्थिक मामलों के विभाग के दायरे में लाया गया।
- चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान देश में एफडीआई 30 प्रतिशत बढ़कर 21.62 अरब डॉलर रहा।
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