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Hindi News पैसा बिज़नेस अर्थव्यवस्था को लेकर अच्छे संकेत, बैंक कर्ज 5.74 प्रतिशत और जमा में 9.73 फीसदी का इजाफा

अर्थव्यवस्था को लेकर अच्छे संकेत, बैंक कर्ज 5.74 प्रतिशत और जमा में 9.73 फीसदी का इजाफा

बैंक कर्ज चार जून, 2021 को समाप्त पखवाड़े में सालाना आधार पर 5.74 प्रतिशत बढ़कर 108.43 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

<p>अर्थव्यवस्था को लेकर...- India TV Paisa Image Source : PTI अर्थव्यवस्था को लेकर अच्छे संकेत, बैंक कर्ज 5.74 प्रतिशत और जमा में 9.73 फीसदी का इजाफा

मुंबई। बैंक कर्ज जमा को लेकर अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। बैंक कर्ज चार जून, 2021 को समाप्त पखवाड़े में सालाना आधार पर 5.74 प्रतिशत बढ़कर 108.43 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं जमा 9.73 प्रतिशत बढ़कर 153.13 लाख करोड़ रुपये हो गई। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार एक साल पहले पांच जून, 2020 को समाप्त पखवाड़े में बैंक कर्ज 102.55 लाख करोड़ रुपये और जमा राशि 139.55 लाख करोड़ रुपये रही थी। 

इससे पूर्व, 21 मई, 2021 को समाप्त पखवाड़े में बैंक ऋण 5.98 प्रतिशत जबकि जमा 9.66 प्रतिशत बढ़ी थी। केंद्रीय बैंक के आंकड़े के अनुसार समूचे वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक कर्ज 5.56 प्रतिशत और जमा 11.4 प्रतिशत बढ़ी। 

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टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने वालों पर संकट

आयकर विभाग ने सोमवार को कहा कि उसने टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) काटने और टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) संग्रह करने वालों के लिये उन व्यक्तियों की पहचान करने में मदद की एक नई व्यवस्था विकसित की है, जिन पर एक जुलाई से ऊंची दर से कर वसूला जाएगा। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में यह प्रावधान किया गया है कि पिछले दो वित्त वर्षों में आयकर रिटर्न नहीं भरने वाले उन लोगों के मामले में स्रोत पर कर कटौती और स्रोत पर कर संग्रह अधिक दर से होगा, जिन पर दो वर्षों में प्रत्येक में 50,000 रुपये या उससे अधिक कर कटौती बनती है। 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोमवार को परिपत्र जारी कर रिटर्न नहीं भरने वाले ऐसे लोगों के मामले में उच्च दर से कर कटौती/संग्रह को लेकर धारा 206एबी अैर 206सीसीए के क्रियान्वयन को लेकर परिपत्र जारी किया। आयकर विभाग ने ट्विट पर लिखा है, ‘‘धारा 206एबी और 206सीसीए के लिये अनुपालन जांच को लेकर नई व्यवस्था जारी की गयी है। इससे स्रोत पर कर काटने वाले तथा टीसीएस संग्रहकर्ता के लिये अनुपालन बोझ कम होगा।’’ 

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