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Hindi News पैसा बिज़नेस किसानों के लिए खुशखबरी, RBI ने दी गोदाम में रखी फसल के बदले 75 लाख रुपये तक कर्ज लेने की सुविधा

किसानों के लिए खुशखबरी, RBI ने दी गोदाम में रखी फसल के बदले 75 लाख रुपये तक कर्ज लेने की सुविधा

अब कोई किसान गोदामों में रखी अपनी फसल के एवज में 75 लाख रुपये तक बैंक से कर्ज ले सकता है।

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नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फसल के एवज में किसानों के कर्ज की सीमा बढ़ा दी है। अब कोई किसान गोदामों में रखी अपनी फसल के एवज में 75 लाख रुपये तक बैंक से कर्ज ले सकता है। पहले यह सीमा 50 लाख रुपये थी। पंजीकृत गोदामों में रखी फसल की रसीद के आधार पर किसानों को यह कर्ज मिलता है।

केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि कृषि उत्पादों के बंधक के बदले में किसानों को कर्ज देने की सीमा बढ़ा दी गई है, बशर्ते फसलों का यह वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेग्युलेटरी अथाॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा पंजीकृत और विनियमित वेयरहाउस की ओर से जारी निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट यानी एनडब्ल्यूआर या इलेक्ट्रॉनिक एनडब्ल्यूआर के आधार पर किया गया हो।

प्रीपेड भुगतान साधनों के बीच पारस्परिकता को बनाया अनिवार्य

प्रीपेड भुगतान साधन जारीकर्ताओं द्वारा आपस में प्रणालियों की पारस्परिकता को नहीं अपनाने पर नाराजगी जताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि ऐसी कंपनियों को इस बात का प्रावधान करना होगा कि केवाईसी को पूरा करने वाले उसके ग्राहक दूसरी कंपनियों के ग्राहकों के साथ लेनदेन कर सकें। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने दिन के अंत में किसी पेमेंट बैंक के एक खाते में रहने वाली अधिकतम धनराशि की सीमा को बढ़ाकर दो लाख कर दिया।

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गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि प्रीपेड भुगतान साधनों (पीपीआई) को 2018 में पारस्परिकता को अपनाने का विकल्प दिया गया था, जिसमें एक कंपनी के ग्राहक दूसरे पीपीआई या बैंकों के ग्राहकों को धनराशि भेज सकते हैं। यह विकल्प उन मामलों में दिया गया था, जहां केवाईसी (अपने ग्राहकों को जानें) पूरा हो चुका है। दास ने कहा कि दो साल बीतने के बावजूद पूर्ण केवाईसी पीपीआई की ओर स्थानांतरण नहीं हुआ और इसलिए पारस्परिकता नहीं है।

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ईसीबी के जरिये जुटाई गई राशि का उपयोग नहीं करने वाले कर्जदारों को राहत

आरबीआई ने लॉकडाउन के कारण विदेशी बाजारों से लिए गए वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) का उपयोग नहीं करने वाली कंपनियों को राहत दी है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि बिना उपयोग वाली एक मार्च, 2020 से पहले ईसीबी के जरिये जुटाई गई राशि देश के बैंकों में मियादी जमा के रूप में एक मार्च, 2022 तक रखी जा सकती है। ईसीबी नियम के तहत कर्जदारों को भारत में मियादी जमा के रूप में राशि अधिकतम 12 महीने के लिए रखने की अनुमति है।

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केंद्रीय बैंक ने विकासात्मक और नियामकीय नीतियों पर अपने बयान में कहा कि कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये लॉकडाउन के कारण पहले से ईसीबी के जरिये जुटायी जा चुकी राशि के उपयोग में कठिनाइयों को देखते हुए, इस मामले में एक बारगी राहत देने का निर्णय किया गया है।

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