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गोल्ड मोनेटाइजेशन को सफल बनाने में मदद करेगा सेबी, ईटीएफ को 20 फीसदी निवेश की मंजूरी

सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में निवेश करने की मंजूरी दे दी है।

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नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में निवेश करने की मंजूरी दे दी है। ईटीएफ अपने कुल एसेट का 20 फीसदी गोल्ड स्कीम में निवेश कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने नवंबर में सोने की डिमांड और आयात को कम करने के लिए गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम लॉन्च की थी। इसके तहत आम आदमी, मंदिर और ट्रस्ट अपने सोने को किसी भी रूप में बैंक के पास जमा कर उसपर ब्याज ले सकते हैं।

सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने कहा जीडीएस के तहत म्युचुअल फंड के गोल्ड ईटीएफ में मौजूदा निवेश परिपक्वता या विड्रॉल तक चलाने की अनुमति दी गई है। गोल्ड ईटीएफ किसी कंपनी की तरह शेयर बाजार पर कारोबार करने वाले ओपन एंडेड फंड होते हैं। ईटीएफ कंपनी सोने की कीमतों पर पैनी नजर रखती हैं। ईटीएफ की प्रत्येक इकाई में सोने के एक ग्राम के बराबर होता है।

एक सर्कुलर जारी कर सेबी ने कहा कि गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (जीएमएस) में गोल्ड ईटीएफ 20 फीसदी से अधिक निवेश नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, सेबी ने कहा है कि जीडीएस में निवेश के लिए लागू अन्य सभी शर्तों का पालन करना होगा। जीएमएस में ईटीएफ के माध्यम से बैंक भी पैसा सकते हैं।

निवेशक लगातार गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) से अपना पैसा बाहर निकाल रहे हैं। 2015 में निवेशकों ने 845 करोड़ रुपए ईटीएफ से बाहर निकाले हैं। ये लगातार तीसरा ऐसा साल है, जब निवेशकों ने ईटीएफ से पैसा निकाला हो। हालांकि 2015 में पैसा निकालने की रफ्तार पिछले दो सालों की तुलना में धीमी रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार मंद इक्विटी मार्केट ट्रेंड की वजह से ईटीएफ से पैसा निकालने की रफ्तार धीमी पड़ी है।

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