मुंबई। रत्न एवं आभूषण उद्योग ने सोने पर आयात शुल्क घटाकर चार प्रतिशत करने की मांग की है। इसके साथ ही तराशे और पॉलिश किए गए हीरे और रत्नों पर आयात शुल्क घटाकर 2.5 प्रतिशत करने की मांग की है। उद्योग ने आगामी बजट में इन उपायों के साथ ही उद्योग के लिए कार्यशील पूंजी के लिए ऋण नियमों को सरल बनाने पर भी जोर दिया है।
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण डोमेस्टिक काउंसिल के चेयरमैन अनंत पद्मनाभन ने वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि चालू खाते के घाटे (कैड) पर अंकुश के लिए सोने पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी बजट में कार्यशील पूंजी की जरूरत को पूरा करने के लिए ऋण नियमों को उदार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जून, 2017 में भारत का व्यापार घाटा उम्मीद से से अधिक घटकर 12.96 अरब डॉलर पर आ गया, लेकिन सोने पर आयात शुल्क बढ़ने से अवैध कारोबार बढ़ रहा है।
पद्मनाभन ने कहा कि पैन कार्ड के तहत कारोबार सीमा को दो लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए किया जाना चाहिए। इस बीच, रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (जीजेईपीसी) के चेयरमैन प्रमोद कुमार अग्रवाल ने भी सरकार से तराशे हीरे और पॉलिश रत्नों पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत करने की मांग की है।
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के निदेशक सौरभ गाडगिल ने कहा कि जिंस लेनदेन कर (सीटीटी) के समाप्त होने से डब्बा कारोबार पर रोक लग सकेगी। कल्याण ज्वेलर्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक टी एस कल्याणरमन ने कहा कि कर छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपए किए जाने की उम्मीद है, इससे लोगों के पास खर्च के लिए अधिक धन उपलब्ध होगा।
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