मुंबई। ज्वैलर्स के बाद अब जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्टर्स ने सरकार से एक्साइज ड्यूटी हटाने को कहा। एक्सपोर्टर्स ने केंद्र से गैर-चांदी की ज्वैलरी पर एक फीसदी ड्यूटी लगाने के फैसले को वापस लेने की मांग की है। हालांकि, उन्होंने कहा है कि वे बुलियन कारोबारियों और रिटेलरों की मौजूदा हड़ताल में शामिल नहीं होना चाहते हैं। गौरतलब है कि आम बजट में एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाने के प्रस्ताव के खिलाफ ज्वैलर्स और इससे जुड़े 358 एसोसिएशनों के सदस्य 2 मार्च से हड़ताल पर हैं।
हड़ताल में शामिल नहीं होगा प्रमोशन काउंसिल
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के चेयरमैन प्रवीण शंकर पांड्या ने अपने बयान में कहा, हम सैद्धांतिक रूप से ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) और अन्य उद्योग संगठनों के साथ हैं। लेकिन हम उनकी इस हड़ताल में शामिल नहीं होंगे। हम इस बात पर विश्वास करते हैं कि सरकार के साथ बातचीत के जरिए उसे ड्यूटी लगाने को वापस लेने को कहा जाए।
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ज्वैलर्स
सरकार के मामले पर गौर करने के आश्वासन के बावजूद ज्वैलर्स ने हड़ताल को अनिश्चितकाल के लिए जारी रखने का फैसला किया है। ज्वैलर्स पिछले छह दिनों से हड़ताल पर हैं, जिसके कारण अब तक 10,000 करोड़ रुपए के कारोबार का नुकसान होने का अनुमान है। बुलियन ट्रेडर्स बजट में सोने और चांदी के कीमती ज्वैलरी पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाने का विरोध कर रहे हैं। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण महासंघ (जीजेएफ) के अध्यक्ष श्रीधर जी वी ने कहा, हमने जीजेएफ से संबद्ध 358 से अधिक संगठनों से मुलाकात की है जिसमें तीन लाख विनिर्माता, कारीगर के अलावा कई अन्य लोग शामिल हैं।
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