नई दिल्ली। केंद्रीय राजस्व अधिकारियों के प्रमुख संगठन ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से आग्रह किया है कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन में जल्दबाजी नहीं की जाए। संगठन ने अपनी चिंताओं पर ध्यान नहीं दिए जाने पर कानूनी कदम उठाने की चेतावनी दी है।
ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ ग्रुप बी सेंट्रल एक्साइज गैजेटेड एग्जीक्यूटिव ऑफिसर्स ने इस बारे में जेटली को पत्र लिखा है। एसोसिएशन ने दावा किया है कि नोटबंदी का असर देश की आर्थिक वृद्धि पर पड़ा है।
- एसोसिएशन ने जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद द्वारा लिए गए कुछ फैसलों को अवैध करार दिया है और उन्हें दुरुस्त करने की मांग की है।
- इसके साथ ही एसोसिएशन ने मांग की है कि अंतिम फैसला करने से पहले अधिकारियों के संगठन की भी राय ली जाए।
- उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद की 16 जनवरी को हुई बैठक में कई फैसले किए गए थे।
- एसोसिएशन ने पत्र में कहा है कि 90 प्रतिशत सेवा कर इकाइयों को राज्यों को स्थानांतरित करने के फैसले का किसी भी विधिमान्य व तार्किक आधार पर समर्थन नहीं किया जा सकता।
- इसलिए जीएसटी परिषद द्वारा किए गए इस आशय के फैसले को वापस लिया जाए।
- इसने कहा है, नोटबंदी के कारण देश की जीडीपी की वृद्धि दर में कम से कम एक प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान है।
- अगर जीएसटी के कार्यान्वयन में और देरी होती है तो देश को और आर्थिक नुकसान हो सकता है क्योंकि जीडीपी में और गिरावट आ सकती है।
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