नई दिल्ली। उम्मीद से बेहतर GDP के आंकड़े से उत्साहित वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 7 प्रतिशत वृद्धि ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के असर के बारे में बढ़ा चढ़ा कर पेश की जाने वाली बातों को झुठला दिया है।
ब्रिटेन से सुबह लौटे जेटली रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की इस बात से सहमत दिखे कि नए नोटों के चलन में आने के साथ आर्थिक गतिविधियां तेजी से सुधरेंगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2016 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही पर उच्च राशि की मुद्राओं पर पाबंदी का उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा था।
उन्होंने कहा, इसे स्वीकार किया जाना चाहिए कि नोटबंदी से मुद्रा में कमी आई क्योंकि इस दौरान उच्च राशि की पुरानी मुद्रा की जगह नई मुद्रा लाई जा रही थी और कई लोग वृद्धि पर इसके प्रभाव को लेकर आशंकित थे।
- जेटली ने कहा कि लेकिन तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत की वृद्धि ने अर्थव्यवस्था को लेकर सभी आशंकाओं को पीछे छोड़ दिया है।
उन्होंने कहा, मैं यह लगातार कह रहा था कि कर संग्रह के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि वृद्धि हो रही है। - ये आंकड़े वास्तव में वृद्धि के वास्तविक स्तर को बताते हैं।
- कुछ क्षेत्र, खासकर नकद लेन-देन पर बहुत अधिक आश्रित और काले धन से चलने वाले क्षेत्र इससे अधिक प्रभावित हुए होंगे।
- जो धन बैंक में जमा किया गया है, उसे अब एक प्रणाली के जरिये खर्च किया जा रहा है जिसे रिकॉर्ड में रखा जा रहा है।
- जेटली ने कहा कि इस साल कृषि क्षेत्र में वृद्धि रिकॉर्ड स्तर पर है।
- उन्होंने कहा, अब हम मार्च महीने में हैं और नए नोटों को चलन में लाने के काम में उल्लेखनीय तेजी आई है।
- मुझे लगता है कि नए नोटों को चलन में आने, भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती और दुनिया में वृद्धि के लौटने के कुछ संकेत हैं और इसीलिए मुझे उम्मीद है कि आगे की तिमाही में यह आंकड़ा और बढ़ेगा।
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