नई दिल्ली। संकट में घिरे शराब कारोबारी विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस पर बकाया 9,431 करोड़ रुपए के कर्ज के मामले में अपना बचाव किया। उन्होंने कहा कि इस कर्ज के लिए व्यक्तिगत गारंटी दबाव में दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस कर्ज की देनदारी व्यक्तिगत रूप से उन पर नहीं बनती है। माल्या 2 मार्च को लंदन चले गए थे। उसके बाद ही बैंकों के गठजोड़ ने किंगफिशर से 9,431.65 करोड़ रुपए का कर्ज और ब्याज वसूलने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
राज्यसभा की आचार नीति समिति के समक्ष माल्या ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि उन्होंने 2013 में ही किंगफिशर को कर्ज के लिए अपनी व्यक्तिगत गारंटी को खत्म करने के लिए बंबई हाई कोर्ट से संपर्क किया था। समिति के समक्ष अपने दस्तखत वाले 2 मई के पत्र में माल्या ने कहा है, तथ्य यह है कि बैंकों के समूह द्वारा किंगफिशर एयरलाइंस को मार्च, 2013 के आसपास कर्ज दिए जाने से पहले मैंने और अन्य लोगों ने बंबई हाई कोर्ट में मामला दायर कर 21 दिसंबर, 2010 को इस कर्ज के लिए दी गई व्यक्तिगत गारंटी को समाप्त करने को कहा था। इसके पीछे आधार यह था कि मैंने यह गारंटी दबाव में दी थी।
कांग्रेस नेता करण सिंह की अगुवाई वाली समिति ने कर्ज चुकाने में असफल रहने के मामले में माल्या की राज्यसभा सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश की। माल्या ने कहा कि मामला अभी भी लंबित है। इसी के आधार पर बैंकों के समूह द्वारा बेंगलूर में कर्ज वसूली प्राधिकरण (डीआरटी) के समक्ष मेरे खिलाफ दायर अपील का मैं विरोध कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट डीआरटी को इस मामले को तेजी से निपटाने का निर्देश दिया है। माल्या ने कहा कि उनका देश के मौजूदा वातावरण पर भरोसा नहीं है। माल्या ने कहा कि इस माहौल में उन्हें आचार समिति के अपने साथियों से भी न्याय की उम्मीद नहीं है।
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