नई दिल्ली। अमेरिका की कंसल्टेंट फर्म डीएंडएम ने ओएनजीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के बीच चल रहे विवाद पर अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि केजी बेसिन में ओएनजीसी के अधिकार वाले क्षेत्र से रिलायंस ने गलत ढंग से तकरीबन 11 हजार करोड़ रुपए की प्राकृतिक गैस निकाली है। डिगोल्यर और मैकनॉटन (डीएंडएम) ने अपरी अंतिम रिपोर्ट हाइड्रोकार्बन महानिदेशक (डीजीएच) को सौंपी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ओएनजीसी के कृष्णा गोदावरी बेसिन ब्लॉक से कुछ गैस निकालकर आरआईएल के केजी-डी6 फील्ड में ले जाई गई है। सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन करेगी और यह तय करेगी कि ओएनजीसी के क्षेत्र से आरआईएल द्वारा निकाली गई गैस की क्षतिपूर्ति किस प्रकार की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि डीएंडएम की रिपोर्ट मिलने से छह माह के भीतर सरकार को ओएनजीसी के मामले का निपटारा करना होगा। डीएंडएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ओएनजीसी के कृष्णा गोदावरी बेसिन केजी-डीडब्ल्यूएन 98/2 (केजी-डी5) और गोदावरी प्रोड्यूशिंग माइनिंग लीज (पीएमएल) आरआईएल के केजी-डीडब्ल्यूएन-98/3 (केजी-डी6) क्षेत्र के धीरूभाई-1 और 3 (डी1 और डी3) से जुड़े हुए हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ओएनजीसी के गोदावरी-पीएमएल और केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 से तकरीबन 11.122 अरब क्यूबिक मीटर गैस केजी-डी6 में ले जाई गई है। एक अप्रैल 2009 से अब तक केजी-डी6 से 58.68 अरब क्यूबिक मीटर गैस निकाली गई है, जिसमें से 49.69 बीसीएम आरआईएल और 8.981 बीसीएम ओएनजीसी के क्षेत्र से निकाली गई है।
4.2 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट के आधार पर आरआईएल द्वारा ओएनजीसी के क्षेत्र से निकाली गई गैस का कुल मूल्य 11,055 करोड़ रुपए है। 2013 में ओएनजीसी ने दावा किया था कि आरआईएल जानबूझकर दोनों ब्लॉक की सीमा के नजदीक कुओं की खुदाई कर रहा है और इससे कुछ गैस उसके ब्लॉक से निकाली जा रही है। दूसरी ओर आरआईएल का कहना है कि वह सभी नियमों का पालन करते हुए केजी-डी6 ब्लॉक में गैस का उत्पादन कर रही है।
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