नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज दुर्गम क्षेत्रों में खोजे गए खनिज गैस स्रोतों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए वहां की गैस के मूल्य निर्धारण के लिए एक नए फॉर्मूले को मंजूरी दे दी है। इससे अब वहां की गैस के दाम करीब दोगुना बढ़ जाएंगे। सरकार के इस कदम से ओएनजीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों को उन क्षेत्रों से गैस निकासी के काम का प्रोत्साहन मिलेगा।
घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस का मूल्य निर्धारण फिलहाल अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे जरूरत से अधिक गैस का उत्पादन करने वाले देशों के औसत मूल्य के आधार पर होता है। गहरे समुद्र की खोजों को विकसित करने के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इसे अब वैकल्पिक ईंधन- नाफ्था और ईंधन ऑयल तथा आयातित एलएनजी- की लागत से जोड़ने की मंजूरी दी है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि गैस की कीमत ईंधन तेल और आयातित एलएनजी या ईंधन तेल, नाफ्था और आयातित कोयले के भारांकित औसत के न्यूनतम स्तर पर तय होगी। मौजूदा दर के मुताबिक गैस की कीमत करीब सात डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होगी।
भारत में गैस मूल्य फिलहाल 3.82 डॉलर प्रति इकाई (एमएमबीटीयू) है, जो अप्रैल में गिरकर 3.15 डॉलर रह जाएगी। यह दर गहरे-समुद्र में विकास की लागत की भरपाई के लिए व्यवसायिक दृष्टि से पर्याप्त नहीं मानी जा रही है। प्रधान ने कहा कि उक्त दर काफी न होने के कारण उत्खनन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने गहरे समुद्र, अति गहरे समुद्र और उच्च तापमान, उच्च दबाव वाले क्षेत्रों की अविकसित गैस खोजों के लिए नाफ्था, ईंधन तेल और एलएनजी के औसत के आधार पर नए मूल्य निर्धारण फार्मूले को मंजूरी दी है।
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