नयी दिल्ली। देश की सबसे बड़ी गैस कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड की राष्ट्रीय गैस पाइपलाइन ग्रिड और शहरी गैस वितरण नेटवर्क के विस्तार में अगले पांच साल में 45,000 करोड़ रुपए से अधिक निवेश करेगी। कंपनी के चेयरमैन आशुतोष कर्नाटक ने कहा कि इससे पर्यावरण अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। गैस पाइपलाइन के जरिए देश के पूर्वी और उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों के साथ-साथ दक्षिण में ग्राहकों तक पर्यावरण अनुकूल ईंधन को पहुंचाने की योजना है। सरकार की कुल ऊर्जा खपत में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 2030 तक बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की योजना है। फिलहाल इसकी हिस्सेदारी 6.2 प्रतिशत है। गेल का यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गैस आधारित अर्थव्यवस्था सृजित करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
गेल के चेयरमैन कर्नाटक ने कहा, 'प्राकृतिक गैस उत्सर्जन में मौजूदा स्तर से कमी लाने के लिए प्राकृतिक गैस काफी उपयुक्त है। 2040/50 तक शून्य उत्सर्जन प्रौद्योगिकी की स्थिति पर पहुंचने से पहले यह आवश्यक है।' उन्होंने कहा कि प्राकृतिक गैस पर्यावरण अनुकूल है क्योंकि इसमें डीजल और कोयला जैसे अन्य वैकल्पिक ईंधन के मुकाबले उत्सर्जन काफी कम है। गेल के चेयरमैन ने कहा कि भारत फिलहाल प्रतिदिन 16 करोड़ घन मीटर गैस की खपत करता है। कुल ऊर्जा में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने के लिये खपत बढ़ाकर 40 करोड़ घन मीटर करनी है।
उन्होंने कहा कि गेल इसके लिये जरूरी बुनियादी ढांचा सृजित करने के वास्ते अपनी जवाबदेही निभा रहा है। कंपनी फिलहाल 12,160 किलोमीटर पाइपलाइन नेटवर्क का परिचालन करती है और बाजार में दो तिहाई प्राकृतिक गैस की बिक्री करती है। गेल फिलहाल 5,500 किलोमीटर पाइपलाइन परियोजनाओं पर काम कर रही है जबकि इतनी ही किलोमीटर की पाइपलाइन योजना स्तर पर है।
कर्नाटक ने कहा कि उसकी परियोजनाओं में महत्वकांक्षी ऊर्जा गंगा परियोजना शामिल हैं। इसके जरिए गैस बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और झारखंड तक पहुंचाई जाएगी। इसके अलावा कोच्चि-कूटानंद-बेंगलोर-मैंगलोर लाइन और इंद्रधनुष नार्थ ईस्ट गैस ग्रिड शामिल हैं। पाइपलाइन के अलावा गेल वाहनों के सीएनजी और घरों में पाइप के जरिये ईंधन (पीएनजी) पहुंचाने के लिये शहरों में गैस वितरण के लिये भी नेटवर्क का विस्तार कर रही है। पेट्रोरसायन संयंत्रों के विस्तार के लिये भी निवेश प्रस्तावित है।
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