नई दिल्ली। दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय टैक्स नियमों में बड़े बदलावों का समर्थऩ किया है। इसमें वैश्विक स्तर पर न्यूनतम 15 प्रतिशत की कॉरपोरेट कर की दर का प्रस्ताव भी शामिल है। इससे बड़ी कंपनियां निचली कर दरों वाले कर पनाहगाह क्षेत्रों यानि टैक्स हैवेन का लाभ नहीं उठा पाएंगी। जी-20 के वित्त मंत्रियों ने शनिवार को वेनिस में हुई बैठक में इस योजना को स्वीकृति दी। अमेरिका की वित्त मंत्री जैनेट येलेन ने कहा कहा कि इस प्रस्ताव से ‘आत्मघाती अंतरराष्ट्रीय कर प्रतिस्पर्धा’ समाप्त हो जाएगी।
विभिन्न देश बरसों से कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अपनी कर दरों को निचले स्तर पर रख रहे हैं। येलेन ने कहा, ‘‘यह एक ऐसी दौड़ है जिसे कोई नहीं जीत पाया है।’’ उन्होंने कहा कि इसके उलट इससे हमें उन संसाधनों से वंचित होना पड़ा है, जिनका निवेश हम अपने लोगों, अपने श्रमबल और अपने बुनियादी ढांचे में कर सकते थे। इसके तहत अगला कदम पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) में इस प्रस्ताव के अधिक ब्योरे पर काम करना है। इसके बाद 30-31 अक्टूबर को रोम में होने वाली जी-20 के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों की बैठक में इस पर अंतिम फैसला किया जाएगा। इस योजना का क्रियान्वयन 2023 की शुरुआत तक हो सकता है। यह राष्ट्रीय स्तर की कार्रवाई पर निर्भर करेगा। देशों को न्यूनतम कर की जरूरत को अपने कानूनों में शामिल करना होगा। अन्य हिस्सों के लिए औपचारिक संधि की जरूरत पड़ सकती है।
ओईसीडी द्वारा बुलाई गई 130 से अधिक देशों की बैठक में एक जुलाई को इस प्रस्ताव के मसौदे को मंजूरी दी गई। इटली ने वेनिस में जी-20 के वित्त मंत्रियों के बैठक की मेजबानी की। इस दौरान करीब 1,000 पर्यावरण और सामाजिक न्याय कार्यकर्ताओं ने ‘वी आर द टाइड’ के बैनर तले विरोध प्रदर्शन भी किया।
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