नई दिल्ली। विदेशी में स्थित अपनी प्रॉपर्टी का खुलासा न करना बेहद जोखिम भरा हो जाएगा। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने गुरुवार को बताया कि 2017 से सरकार को सभी देशों से वहां किए गए भारतीय द्वारा निवेश संबंधी जानकारी स्वत: मिलनी शुरू हो जाएगी। सूचनाओं के स्वाभाविक आदान-प्रदान (एईओआई) समूह की छठी बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक सूचना सुरक्षा समिति का गठन किया है ताकि विदेश से मिली जानकारी की गोपनीयता सुनिश्चित की जा सके।
सिन्हा ने कहा कि विदेशी परिसंपत्तियों का खुलासा नहीं करना करदाताओं के लिए बेहद जोखिमपूर्ण होता जाएगा। सख्त बैंकिंग गोपनीयता खत्म हो गई है और अब पारदर्शिता का एक नया माहौल बना है। सिन्हा ने कहा कि आयकर विभाग में सीबीडीटी और स्थानीय सूचना सुरक्षा आयोग में कैडर नियंत्रण के स्तर पर दिशा-निर्देश के साथ समिति गठित कर सुदृढ़ सूचना सुरक्षा प्रणाली स्थापित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। कर विभाग 31 दिसंबर 2015 से पहले एईओआई का संशोधित दिशानिर्देश पत्र लेकर आएगा। यह वित्तीय संस्थानों, नियामकों और कर विभाग के अधिकारियों को दिशानिर्देश मुहैया कराएगा ताकि एईओआई के मानदंडों के अनुरूप अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने कहा आयकर नियम एवं दिशानिर्देश पत्र समान सूचना मानक और विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (फाटका) को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। सिन्हा ने कहा कि विदेश में कर चोरी की समस्या और धन के गैर कानूनी प्रवाह की समस्या का समाधान सिर्फ विभिन्न देशों के बीच स्वाभाविक आधार पर वित्तीय खातों की सूचनाओं के आदान-प्रदान के जरिये ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा भारत समान सूचना मानक को जल्दी अपनाने वाले देशों में से एक है और यह 2017 तक इसे अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने इन मानकों को लागू करने के लिए कई पहल की हैं ताकि कैलेंडर वर्ष 2016 की पहली सूचना हम संधि के भागीदरों को सितंबर 2017 तक मुहैया करा सकें। भारत को अमेरिका से 30 सितंबर से फाटका के तहत एईओआई के जरिए सूचना मिलनी शुरू हो गई है। इस बहुपक्षीय समझौते के तहत भारत को 2017 से एईओआई के जरिये अन्य देशों से भी सूचना मिलनी शुरू हो जाएगी।
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