नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO ) इस समय आरटीआई (राइट टू इंफॉर्मेशन) के तहत पूछे जा रहे सवालों से परेशान है। लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी जीवन से जुड़ी जानकारियों से संबंधित ऐसे सवाल पूछ रहे हैं, जिनका जवाब देना पीएमओ के लिए मुश्किल पड़ रहा है। लोग प्रधानमंत्री के लिए सब्जी कौन लेकर आता है से लेकर उनके मोबाइल बिल और रसोई में इस्तेमाल हो रहे सिलेंडर और मसालों के हिसाब मांग रहे हैं। हालांकि पीएमओ अधिकतर जानकारी दे रहा है, लेकिन स्टाफ, सैलरी और आगंतुकों से संबंधित जानकारी देने से इंकार कर दिया है।
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पीएमओ के सामने आ रहे है अजीबोगरीब सवाल
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय आजकल सिर्फ नीतिगत फैसले लेने के साथ आम जनता के अजीबोगरीब सवालों के जवाब भी दे रहा है। पीएमओ के मुताबिक इन सवालों के जरिए लोग नरेंद्र मोदी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं। एक सवाल में पूछा गया कि पीएम निवास की रसोई में अक्टूबर 2014 से मई 2015 के बीच कितने गैस सिलेंडर इस्तेमाल हुए? साथ ही मई 2015 में खरीदे गए मसालों और सब्जियों की रसीदें भी मांगी गईं। मोदी पहले रामलीला में काम करते थे? वे कौन सा रोल करते थे? पीएमओ के जवाब के मुताबिक पीएम निवास की रसोई में पूरा खर्च प्रधानमंत्री खुद उठाते है और ये सरकारी खाते में दर्ज नहीं होता। लोग प्रधानमंत्री का मोबाइल नंबर भी जानना चाहते हैं, लेकिन पीएमए के मुताबिक प्रधानमंत्री के पास कोई मोबाइल नहीं है। लोगों ने पीएम के इंटरनेट की स्पीड तक आरटीआई से मांगी है। लोगों ने प्रधानमंत्री की सिक लीव के बारे में भी पूछा, तो जवाब आया कि मोदी ने कोई लीव नहीं ली है।
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सुरक्षा को देखते हुए कुछ जवाबों से इंकार
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक पीएमओ बारी बारी से सवालों के जवाब दे रही है। लेकिन पीएमओ के स्टाफ, सैलरी और आगंतुकों से संबंधित जानकारी सुरक्षा कारणों के चलते नहीं दी गई है। पीएमओ ने इन सवालों के जवाब यह कहकर खारिज कर दिए कि इनसे देश की प्रभुता और अखंडता को खतरा पैदा हो सकत है। एक ओर जहां देश भर में 34 हजार आरटीआई सवालों के जवाब लंबित हैं, उस स्थिति में लोगों के प्रधानमंत्री पर सवालों की बारिश ने नई समस्या पैदा कर दी है।
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