नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त महीने में अभी तक भारतीय शेयर बाजारों में 7,700 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है। वैश्विक के अलावा घरेलू कारकों से एफपीआई का भारतीय शेयरों में आकर्षण बना हुआ है। इससे पिछले महीने एफपीआई का शेयरों में प्रवाह चार माह के उच्चस्तर 12,612 करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। मार्च के बाद शेयरों में एफपीआई का यह सबसे अधिक निवेश था। उस समय एफपीआई ने शेयरों में 21,143 करोड़ रुपए डाले थे। मार्च से भारतीय शेयर बाजारों के प्रति विदेशी निवेशकों का रुख सकारात्मक बना हुआ है।
एफपीआई ने अगस्त के पहले सप्ताह में भारतीय शेयरों में किया 2,300 करोड़ रुपए का निवेश
मार्च से पहले चार महीनों (नवंबर-फरवरी) के दौरान विदेशी निवेशकों ने बाजार से शुद्ध रूप से 41,661 करोड़ रुपए की निकासी की थी। ब्रोकरों का कहना है कि अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि में देरी उभरते बाजारों के प्रति सकारात्मक है। विशेषरूप से भारत के लिए। इससे निवेशक ताजा दौर की खरीदारी कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अलावा बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा दरों में कटौती और लंबे समय से अटके जीएसटी विधेयक के पारित होने से भी एफपीआई का प्रवाह बढ़ा है।
जुलाई में घटा निजी इक्विटी निवेश
निजी इक्विटी (पीई) सौदों में जुलाई माह में 73 फीसदी की गिरावट आई और यह 76.8 करोड़ डॉलर पर आ गए। बड़े सौदों के अभाव में मूल्य के हिसाब से निजी इक्विटी सौदों में कमी आई है। कर एवं परामर्शक कंपनी ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट के अनुसार इस साल जुलाई में 76.8 करोड़ डॉलर के 86 निजी इक्विटी सौदे हुए। वहीं पिछले साल की समान अवधि में 283.9 करोड़ डॉलर के 111 निजी इक्विटी सौदे हुए थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई में मूल्य और मात्रा दोनों के हिसाब से निजी इक्विटी सौदे घटे हैं। मात्रा के हिसाब से निजी इक्विटी सौदों में 23 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि मूल्य के हिसाब से इनमें 73 फीसदी की कमी दर्ज हुई है। यह पिछले तीन साल में सबसे कम मासिक निवेश है। इस साल जनवरी से जुलाई के दौरान निजी इक्विटी सौदे घटकर 685.1 करोड़ डॉलर रह गए, जो इससे पिछले साल की समान अवधि में 980.1 करोड़ डॉलर थे।
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