ICICI बैंक-वीडियोकान कर्ज सौदे में दो साल पहले रिजर्व बैंक को नहीं दिखा हितों में टकराव
आरोप लगाया गया था कि वीडियोकान समूह ने ICICI बैंक को बड़ा कर्ज दे रखा है और ICICI बैंक की मुख्य कार्यपालक चंदा कोचर के पति दीपक कोचर वीडियोकान के साथ मिल कर चांदी काट रहे हैं
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वीडियोकान समूह को ICICI बैंक से प्राप्त कर्ज को लेकर उठाए गए औचित्य के प्रश्नों की विस्तार से जांच की थी पर उस समय उसे परस्पर लेन देन या लाभ पहुंचाने का कोई मामला नहीं दिखा था। RBI के दस्तावेजों के अनुसार उसने यह जांच 2016 के मध्य में की थी। उसे प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने पास आयी कुछ शिकायतें अग्रसारित की थीं। इनमें आरोप लगाया गया था कि वीडियोकान समूह ने ICICI बैंक को बड़ा कर्ज दे रखा है और ICICI बैंक की मुख्य कार्यपालक चंदा कोचर के पति दीपक कोचर वीडियोकान के साथ मिल कर चांदी काट रहे हैं।
दस्तावेजों और मामले को सीधे जानने वाले सूत्रों के अनुसार RBI ने इस मामले में जुलाई 2016 के मध्य में अपनी पहली टिप्पणी में कहा था कि ICICI बैंक ने कुछ बैंकों के एक समूह के साथ मिलकर एक कर्ज समेकन योजना के तहत वीडियोकान समूह को 1,730 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। RBI ने इसी में आगे यह भी कहा कि उसे इस मामले में हितों के द्वंद्व या टकाराव का कोई मामला नहीं दिखा। पर रिजर्व बैंक ने यह टिप्पणी जरूर की थी कि दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर को मिले धन के कुछ स्रोतों को लेकर वह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया है।
RBI ने कहा था कि न्यूपावर के सादौं की वैधता की पुष्टि के लिए उसे मिले धन के स्रोतों की जानकारी जरूरी है और यह काम जांच एजेंसियां ही कर सकती हैं। बाद में उसी साल दिसंबर में RBI ने वीडियोकान को ICICI बैंक से 2007-12 के दौर मिले कर्ज के बदले लेनदेन के आरोपों पर विस्तार से टिप्पणी में कहा था कि यह बैंक वीडियोकान समूह के नाम 20,195 करोड़ रुपए के रिण के एक समेकन कार्यक्रम में शामिल था और उसमें इस बैंक का हिस्सा 1,750 करोड़ रुपए का था। इस कार्यक्रम में कई बैंक शामिल थे और बैंकों के इस समूह का नेतृत्व भारतीय स्टेट बैंक कर रहा था।
रिजर्व बैंक ने कहा था कि चूंकि इस कर्ज समेकन कार्यक्रम में अन्य बैंकों की तरह ही ICICI बैंक भी हिस्सा ले रहा था इसलिए ‘ लेन देन ’ के आरोप की पुष्टि नहीं की जा सकती । रिजर्व बैंक ने कहा था कि न्यूपावर रीन्यूएबल्स लि. के स्वामित्व के हस्तांतरण का विषय इस बैंक के अधिकार क्षेत्र से बाहर का था। यह कंपनी दीपक कोचर ने वीडियोकान के प्रवर्तक धूत परिवार के साथ मिल कर दिसंबर 2008 में बनायी थी। रिजर्व बैंक ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि ऐसे हस्तांतरण की जांच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) या कंपनी मामलों का मंत्रालय करा सकता है।
न्यूपावर को मारीशस के रास्ते मिली पूंजी के मामले में रिजर्व बैंक ने कहा कि यह पूंजी निवेश के स्वत: स्वीकृत नियमों के तहत आयी थी और इसमें किसी उल्लंघन की रपट नहीं है। रिजर्व बैंक ने कहा कि संबंद्ध पक्षों के बारे सूचना देने में किसी प्रकार की चूक या विदेशी मुद्रा प्रबंध कानून के उल्लंघन के किसी मुद्दे की जांच कराने का निर्णय वित्त मंत्रालय का वित्तीय सेवा प्रभाग करा सकता है। पर रिजर्व बैंक ने मारीशस की कंपनी फर्स्ट लैंड होल्डिंग कंपनी के स्वामित्व पर सवाल जरूर उठाया था। इसी कंपनी ने दीपक कोचर की न्यूपावर में 325 करोड़ रुपये का निवेश किया था। उसने यह भी कहा था कि सुपर एनर्जी कंपनी से न्यूपावर को पूरी तरह शेयरों में परिवर्तनीय रिण पत्र के जरिये मिले 64 करोड़ रुपये के कर्ज में भी कोई स्पष्टता नहीं थी। उस समय सुपर एनर्जी की 99.99 प्रतिशत हिस्सेदारी वीडियोकान समूह के प्रमुख वेणुगोपाल धूत के नाम थी।