भारतीय रुपए में आ रहे उतार-चढ़ाव से नहीं है घबराने की जरूरत, एडीबी ने कहा विदेशी मुद्रा भंडार है अप्रभावित
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने आज कहा कि भारत को मुद्रा के उतार-चढ़ाव के बारे में अभी चिंता नहीं करनी चाहिए
नई दिल्ली। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने आज कहा कि भारत को मुद्रा के उतार-चढ़ाव के बारे में अभी चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार का अच्छा संग्रह है। हालांकि उन्होंने कहा कि कमजोर होते रुपए से अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव पड़ सकता है।
उन्होंने कच्चे तेल की कीमतों के बारे में कहा कि एडीबी के अनुसार इसमें कोई तेज वृद्धि नहीं होने वाली है। कच्चे तेल की कीमत हाल ही में 75 डॉलर प्रति बैरल को छू चुकी है। भारत कच्चे तेल के मामले में 80 प्रतिशत आयात पर निर्भर है और कुल आयात खर्च में सबसे बड़ा हिस्सा इसी का होता है।
सवादा ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार समय के साथ बढ़ रहा है इसमें गिरावट के कोई संकेत नहीं हैं। इसीलिए मुझे लगता है कि विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से हमें खास परेशान नहीं होना चाहिए। छह अप्रैल को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 424.864 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक उच्चतम स्तर है।
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से मुद्रा की विदेशी विनिमय दर में गिरावट के फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। अच्छी बात यह है कि रुपए की गिरावट से निर्यात क्षेत्र को लाभ होगा। आशंका यह कि इससे अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव पड़ सकता है। माल एवं सेवा कर के बारे में सवादा ने कहा कि नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे राजस्व संग्रह में होने वाली वृद्धि से सार्वजनिक निवेश में अधिक निवेश संभव हो सकेगा।
उन्होंने देश की जनसांख्यिकीय बढ़त के बारे में कहा कि बहरहाल भारत सरकार के सामने आबादी के उम्रदराज होने की समस्या आने में अभी देरी है। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को जितना जल्दी संभव हो, स्थापित कर लेना चाहिए। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रणाली भी यथाशीघ्र विकसित की जानी चाहिए। इसके लिए कर संग्रह तथा राजकोषीय क्षमता में विस्तार महत्वपूर्ण है वरना सरकार इन नई प्रणालियों की शुरुआत नहीं कर सकेगी।